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“लड़की को पढ़ाना ठीक नहीं”, ताना देते थे लोग, चाय बेचने वाले ने बेटी को ऐसे बनाया CA, कहानी जान खुद को भावुक होने से रोक नहीं पाएंगे

Amita Prajapati CA Success Story: अमिता दिल्ली के झुग्गी झोपड़ी में रहती हैं। उनके पिता चाय बेचते हैं। अमिता ने 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद सीई की परीक्षा पास की।

नई दिल्लीJul 23, 2024 / 04:22 pm

Shambhavi Shivani

CA Success Story
Amita Prajapati CA Success Story: हमारे बीच कई लोग हैं जो हर वक्त अपनी मुसीबतों का रोना रोते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो खुद की जिंदगी बदलने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली अमिता प्रजापति की, जिसने सीए की परीक्षा क्रैक करके अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। सीए फाइनल और इंटर रिजल्ट हाल ही में, 11 जुलाई को जारी किया गया था। करीब 10 सालों की मेहनत के बाद अमीता ने सीए परीक्षा क्रैक कर लिया। उन्होंने अपनी कहानी लिंक्डइन के जरिए शेयर की थी और अब देखते ही देखते उनका पोस्ट काफी वायरल हो रहा है।

“पापा मैं सीए बन गई”, कहकर रोईं अमिता (Viral Video) 

खबरों की मानें तो अमिता दिल्ली के झुग्गी झोपड़ी में रहती हैं। उनके पिता चाय बेचते हैं। अमिता ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वे अपने पिता के गले लगकर कह रही हैं, “पापा मैं सीए बन गई।” पिता और बेटी दोनों भावुक होकर रो रहे हैं। ये वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल (Viral Video) हो रहा है। इसी के साथ उन्होंने एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया है। अबतक अमिता कई अभ्यर्थियों की प्रेरणा बन चुकी हैं। 
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पापा मैं सीए बन गई। 10 साल लग गए। आंखों में सपना लिए हर रोज खुद से पूछती थी, क्या ये सपना कभी सच होगा? हां, सपने सच होते हैं। लोग कहते थे कि क्यों करवा रहे हो इतना बड़ा कोर्स। तुम्हारी बेटी नहीं कर पाएगी क्योंकि मैं औसत छात्रा थी। लेकिन पापा के यकीन और मेरे समर्पण ने मुझे आज ये मुकाम दिलाया है। 

लोगों ने दिए ताने, बेटी को पढ़ाना बेकार है! (Success Story)

अमिता ने आगे बताया कि लोग उनके पिता और उन्हें ताने देते थे। पिता को समझाते कि लड़कियां पराया धन होती हैं। बेटियों को इतना पढ़ाना ठीक नहीं। कई लोगों ने कहा कि चाय बेचकर इतना महंगा कोर्स कराना मुश्किल है। इससे बेहतर तुम पैसे बचाकर अपना घर बनवा लो ताकि जवान होती बेटी के साथ सड़क पर न रहना पड़े। अमिता ने कहा अब उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि वो स्लम में रहती हैं। उन्होंने कहा, “मैं स्लम में रहती हूं। ये बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन अब मुझे इस बात की कोई शर्म नहीं। कुछ लोग कहते थे झुग्गी झोपड़ी, उल्टी खोपड़ी, सही कहते थे। मैं हूं उल्टी खोपड़ी नहीं तो यहां तक कैसे पहुंचती।” 

माता पिता को दिया सफलता का श्रेय

अमिता ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को दिया। उन्होंने अमिता पर अटूट विश्वास रखा और उसे पढ़ाया। साथ ही उन्होंने कहा कि अब वो अपने पिता के लिए घर बनाएंगी। उन्होंने बताया कि पहली बार पिता को गले लग के रोने का मौका मिला। उन्होंने इस मोमेंट के लिए बहुत ज्यादा इंतजार किया था। 

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