सैलरी क्लास पर सबसे ज्यादा मुसीबत
सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल के महीने में 34 लाख सैलरीड क्लास के लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है। एमएसएमई एक बार फिर से अपने अस्तित्व को बचाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। यही 34 लाख वेतनभोगी अहम कारण है। असल में यह इंडस्ट्री कोरोना की पहली लहर से ही ठीक से नहीं उभर पाई थी कि देश दूसरी लहर की चपेट में आ गया।
बेरोजगारी दर में इजाफा
अप्रैल के महीने में बेरोजगारी दर में इजाफा देखने को मिला है। जो आठ फीसदी के आसपास पहुंच गई है। मार्च के महीने में यही बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी देखने को मिली थी। सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास के अनुसार लॉकडाउन और आर्थिक मंदी ने ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यमों को तबाह कर दिया है। उनके अनुसार पिछले साल अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका लगा था। इससे पहले कि छोटे उद्योग उससे पूरी तरह से उभर पाते कोविड की दूसरी लहर ने इनको अपनी चपेट में ले लिया।
कितने लोगों के पास है रोजगार
दिसंबर 2020 के आखिरी में भारत में रोजगार के लेवल पर थोड़ा सुधार देखने को मिला था और उनकी संख्या 38.877 करोड़ पहुंच गई थी। फॉर्मल और इनफॉर्मल सेक्टर दोनों को मिलाकर यह आंकड़ा तैयार किया गया था। जनवरी-अंत तक यह संख्या बढ़कर 40.07 करोड़ देखने को मिली। फरवरी में थोड़ी गिरावट आई और आंकड़ा 39.821 करोड़ पर पहुंच गया। मार्च में रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या 39.814 करोड़ तक पहुंची जो अप्रैल में गिरकर 39.079 करोड़ पर आ गई। ग्रामीण इलाकों में करीब 28.4 लाख वेतनभोगी बेरोजगार हुए हैं। जबकि शहरों में 5.6 लाख कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठे। इससे वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 4.6 करोड़ से घटकर अप्रैल में 4.544 करोड़ रह गई।