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डिजिटल बैंकों को रहना होगा सबसे आगे
विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैंक ऑफ इंग्लैंड के डिप्टी गवर्नर और बीआईएस समिति के अध्यक्ष जॉन कनलाइफ ने कहा कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी की वजह से कैशलेस भुगतान में तेजी आई है। पैसे के आदान-प्रदान के तरीके पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को उजागर किया हैै। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि दुनिया के केंद्रीय बैंकों के बीच डिजिटल करेंसी को लाने के लिए नई दौड़ शुरू हो गई है। उन्होंने इस बात को भी जोर देकर कहा है कि इससे पहले प्राइवेट सेक्टर इस शून्यता को भर लें, केंद्रीय बैंकों को डिजिटल धन के मामले में सबसे आगे रहना होगा। इस योजना में बीआईएस के साथ काम करने वाले केंद्रीय बैंकों में यूरोपीय सेंट्रल बैंक, स्विस नेशनल बैंक और बैंक ऑफ जापान भी शामिल हैं।
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सर्वे में हुआ है बड़ा खुलासा
दुनिया भर के 66 केंद्रीय बैंकों में किए गए बीआईएस सर्वेक्षण ने संकेत दिया है कि 80 फीसदी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। फेड गवर्नर लेल ब्रेनार्ड ने अगस्त में कहा था कि बोस्टन का फेडरल रिजर्व बैंक एमआईटी में शोधकर्ताओं के साथ केंद्रीय बैंक के उपयोगों के लिए एक डिजिटल करेंसी का निर्माण और टेस्टिंग कर रहा है। फेड ने अगस्त में इंस्टैंट पेमेंट इनिशिएटिव भी शुरू कर दिया था। पिछले महीने, क्लीवलैंड फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष लोरेटा मेस्टर ने अपने भाषण “भुगतान और महामारी” में कहा था कि डिजिटल मुद्रा के लिए जमीनी कार्य करना कोविड-19 से पहले प्राथमिकता है।उन्होंने कहा था कि उपभोक्ताओं ने फेड सर्वेक्षण में संकेत दिया गया था कि अमरिकियों ने महामारी के दौरान ज्यादा से ज्यादा कैश अपने हाथों में रखने का प्रयास किया है।
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चीन से है सीधा मुकाबला
वास्तव में अमरीका और दूसरे यूरोपीय एवं अमरीकी मित्र देशों को सबसे ज्यादा चीन की डिजिटल करेंसी से घबराहट है। जानकारों की मानें तो चीन ने दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले पहले इस योजना पर काम शुरू कर दिया था। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना तो पहले से ही रॅन्मिन्बी नाम की डिजिटल करेंसी की टेस्टिंग पर तेजी के साथ काम कर रहा है। बैंक के अनुसार यह डिजिटल करेंसी युआन की दुनिया भर में पहुंच का विस्तार करने में सक्षम होगी। ऐसे में अमरीका और मित्र देशों की ओर से भी डिजिटल करेंसी पर काम करना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में डिजिटल करेंसी वॉर देखने को मिल सकता है।