स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि वो अर्थशास्त्रियों से बैठक के बाद इसके लिए खिलाफ कैंपेन करेंगे। महाजन ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि सरकार अपने इस फैसले को वापस लेगी।” उन्होंने आगे कहा कि हमें उन देशों से सीख लेनी चाहिये जिन्होंने अपने राजकोषीय घाटे से उबरने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार से कर्ज लिया है। इन देशों को का अनुभव कहीं बेहतर नहीं रहा है।
उन्होंने इसके लिए तुर्की और अर्जेंटीना उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि विदेश से कर्ज लेने पर हमारी करंसी की वैल्यू तेजी से कम होगी। साथ ही विदेशी सरकारें हमसे आयात शुल्क कम करने का दबाव भी बढ़ा सकते हैं।
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थेरेसा मे का मोदी से उम्मीद
गौरतलब है कि हाल ही में लंदन में एक बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेस मे ने उम्मीद जताई थी कि भारत सरकार अपने पहले सॉवरेन बॉण्ड को जारी करने के लिए ब्रिटेन को चुनेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दिया था।
वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने पिछले सप्ताह ही टॉप बिजनेस लीडर्स से कहा था कि सरकार का मकसद भारतीय कंपनियों के लिए ब्याज दर में कमी करना है। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारा विदेशी निवेश और सेविंग्स के लिए खुला है। हमें इसी की जरूरत है।
सरकार को घेरने का प्रयास
खास बात है कि केवल आरएसएस ही नहीं, बल्कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में बढ़ती तेजी के समय निवेश तो कर रहे हैं, लेकिन जब बाजार में नरमी का दौर रह रहा है तो वो भाग जा रहे हैं। स्वदेशी जागरण मंच ऐसे ही ओपिनियत की मदद से सरकार को घेरना चाहती है।
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स्वदेशी जागरण मंच के दबाव में सरकार ने लगाया था नया ई-कॉमर्स रेग्युलेशन
बताते चलें कि अमेजन और वॉलमार्ट इंक को लेकर स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के फैसले का विरोध किया था। इसके बाद सरकार ने फरवरी माह में सरकार ने नया ई-कॉमर्स रेग्युलेशन लेकर आई थी। हालांकि, अमरीकी कंपनियों ने सरकार पर यह भी अरोप लगाया था कि वो घरेलू और विदेशी कंपनियों में भेदभाव करती है।
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