34 हजार करोड़ का आएगा खर्च
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ) मोड एक बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता है। इस विकल्प से हम अपने देश को एकदम साफ-सुथरा बना सकते हैं। इस योजना को देश भर में क्रियान्वित करने के लिए सालाना 34 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसके तहत हमारे देश को साफ किया जाएगा।
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रिपोर्ट में हुआ खुलासा
द एसोसिएट चेंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया और ग्लोबल एडवाइजरी सर्विस फर्म अर्नस्ट एंड यंग ने एख रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने भारत को साफ रखने के तरीकों के बारे में बताया। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया कि आधुनिक और स्वस्थ शहरी जीवन के लिए सरकार को समग्र योजना बनानी होगी और इस योजना को बनाने के बाद उसको सही तरह से पूरे देश में लागू भी किया जाएगा।
हर दिन करना चाहिए बचाव
भारत के लगभग 7935 शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 37 करोड़ 70 लाख निवासियों के कारण प्रतिदिन 1,70,000 टन ठोस अपशिष्ट पैदा होता है। यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक जब शहरों में 59 करोड़ नागरिक हो जाएंगे तो देश को और भी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ज्यादा आबादी में देश को साफ रखना और भी ज्यादा मुश्किल काम है।
स्वच्छ भारत अभियान में शामिल करना चाहिए
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए हमारे देश की सरकार को बढचढ़कर हिस्सा लेना चाहिए और इस तरह के प्रोग्राम के लिए सभी को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे देश साफ हो सके। बड़े पैमाने पर इस तरह के कामों पर फोकस किए जाने की जरूरत है। इसके लिए इसे स्वच्छ भारत अभियान में शामिल किया जाना चाहिए।
बीमारियों से बचाना होगा
आपको बता दें कि रिपोर्ट में बताया गया कि अगर हमें अपने देश और शहर को साफ रखना है तो पीपीपी मोड पर निजी कंपनियों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम में शामिल करना होगा। इसके अलावा जगह-जगह पैदा होने वाले कॉकरोच, मच्छरों को भगाने के लिए तरह-तरह के केमिकल का प्रयोग करना चाहिए।
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