अर्थव्‍यवस्‍था

आर्थिक मंदी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना 5 साल पुराना आदेश

SC के आदेश के बाद बैंकों की अहम जानकारियों से महरूम रहेंगे RTI Activist
कुछ मामलों में जांच ना पूरी होने तक लागू रहेगा आदेश
2015 के आदेश में आरबीआई को जानकारी देने के हुए थे आदेश

Dec 20, 2019 / 12:36 pm

Saurabh Sharma

Supreme Court Recruitment 2019

नई दिल्ली। देश आर्थिक मंदी ( economic slowdown ) के दौर से गुजर रहा है। जिसमें बैंकों की स्थितियों और उनके एनपीए ( NPA ) का बड़ा रोल माना जा रहा है। ऐसे में अगर बैंकों की अहम और क्लासिफाइड जानकारियां सार्वजनिक होंगी तो बैंकों की क्रेडिबिलिटी ( Bank Credibility ) पर भी गहरा असर पड़ेगा। जिसकी वजह से बैंकों की स्थिति और भी खराब होगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने अपने 5 साल पुराने आदेश पर रोक लगाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) को अगले आदेश तक सूचना का अधिकार अधिनियम ( RTI Act ) के तहत भारतीय स्टेट बैंक ( state bank of india ) सहित सभी बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और बैंकों की वित्तीय निरीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करने से मना कर दिया है।

यह भी पढ़ेंः- Petrol Diesel Price Today : दो दिन की बढ़ोतरी के बाद दो महीने के उच्चतम स्तर पर डीजल, पेट्रोल के दाम स्थिर

बैंकों ने किया था आवेदन
देश के शीर्ष बैंकों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरबीआई द्वारा इस तरह की जानकारी साझा करने पहले बैंकों को इसका विरोध करने का अवसर मिलना चाहिए। आपको बता दें कि शीर्ष अदालत 2015 में आरबीआई को अनिवार्य कर दिया था कि आरटीआई आवेदकों को इस तरह की जानकारी जारी करे या फिर अदालत की अवमानना का जोखिम उठाने के लिए तैयार रहे।

यह भी पढ़ेंः- रिकॉर्ड लेवल पर शेयर बाजार, सेंसेक्स में 84 अंकों की बढ़त, निफ्टी में 18 अंकों का उछाल

यह सुना था फैसला
आरबीआई में आरटीआई आवेदन तब से जमा हो रहे हैं जब अदालत ने बैंकिंग नियामक को आरटीआई के तहत सभी सूचनाओं को प्रकट करने का फैसला सुनाया है। सिवाय उन लोगों के जिन्हें इस कानून द्वारा बाहर रखा गया है। इसके बाद बैंकों ने राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया। केस के बारे में जानकारी रखने वाले एक वकील के अनुसार उधारदाता बैंकों में शामिल एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एसबीआई इस तरह की रिपोर्ट लीक होने से काफी घबरा गए हैं। रोजाना मीडिया में इन रिपोट्र्स के बारे में चर्चा हो रही है।

यह भी पढ़ेंः- Dzire और Amaze को टक्कर देगी Hyundai Aura, सामने आई पहली झलक

कुछ मामलों की जांच तक जारी रहेगा आदेश
जिसके बाद जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, भारतीय स्टेट बैंक सहित बैंकों की वार्षिक वित्तीय निरीक्षण रिपोर्ट जारी नहीं की जाएगी। अंतरिम आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक अदालत मामले में शामिल मुद्दों की जांच नहीं करती। एसबीआई का प्रतिनिधित्व स्थाई वकील संजय कपूर और आरबीआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता द्वारा किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी एसबीआई के लिए पेश हुए। बैंकों ने पहले 2015 के फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका दायर की थी। जो लंबित है और अभी तक स्थगित है।

यह भी पढ़ेंः- नेगेटिव सिनेरियो के होने से आईसीआरए ने घटाई यस बैंक की रेटिंग

2015 में यह दिया आदेश
शीर्ष अदालत ने ने 16 दिसंबर, 2015 को फैसला सुनाया था कि आरबीआई को पारदर्शिता और जवाबदेही के हित में, आरटीआई के तहत मांगी गई सभी सूचनाओं को जारी करना होगा। यह आदेश जस्टिस एमवाई इकबाल और सी नागप्पन की पीठ ने पारित किया था। आरबीआई ने इस आधार पर चुनाव लड़ा था कि इस तरह की जानकारी देना विवाद को जन्म दे सकता था। अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया।

यह भी पढ़ेंः- ICU में Economy है सरकार, ऐसा बोले पूर्व आर्थिक सलाहकार

आरबीआई ने यह रखा था अपना पक्ष
आरबीआई ने यह भी तर्क दिया कि इस तरह की संवेदनशील सूचनाओं को जारी करने से बैंकिंग प्रणाली में जनता का विश्वास कम होगा और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अदालत ने इसे नहीं माना। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भी आरबीआई ने ताजा गैर-प्रकटीकरण नीति का हवाला देते हुए सूचना चाहने वालों को दूर रखा। जिसके बाद एक आरटीआई आवेदक ने अंत में नियामक के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया।

Hindi News / Business / Economy / आर्थिक मंदी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना 5 साल पुराना आदेश

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.