म्यांमार के कारण बढ़े दाल के दाम
मौसम के कारण भी दाल के दामों में इतनी बढोतरी देखने को मिली है। इसके अलावा दाल की मांग बढ़ने से भी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अरहर दाल के दाम बढ़े हैं। इस साल मानसून सामान्य से कम रहने के आसार हैं, जिसका असर अनाज और दालों पर पड़ेगा। म्यांमार में अरहर की दाल जून में तैयार होती है। वहां से हमारे यहां बड़ी बड़े पैमाने पर दालें आयात होती हैं। म्यांमार में अरहर दाल के दाम बढ़े हैं, जिसके कारण सभी जगहों पर दाल के दाम बढ़ रहे है। भारत के अलावा म्यांमार और कुछ अफ्रीकी देशों में ही अरहर दाल पैदा होती है।
दामों में आ सकती है तेजी
आपको बता दें कि कुछ समय पहले दाल के दामों में गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन इस समय दाल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है और जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में दाल के दामों में तेजी देखने को मिलेगी। आईएमडी और स्काईमेट के जानकारों की मानें तो इस बार मौसम के कारण अनाज और दाल के दामों में लगातार तेजी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा चना, उड़द और तुअर दाल के उत्पादन में भी गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका असर भी दाल की कीमतों पर पड़ेगा।
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रामविलास पासवान को मिला खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय
हाल ही में मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया है, जिसके बाद लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान को खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री का कार्यभार दिया गया है, जिसेक बाद उन्होंने कहा है कि वह मंत्रालय की 100 दिन की कार्ययोजना के साथ उसे लागू करने के लिए तैयार हैं। बता दें कि पासवान ने शुरुआती 100 दिनों में 16 लाख टन दाल और 50,000 टन प्याज के भंडारण के लिए जरूरी कदम उठाने का लक्ष्य रखा है क्योंकि उन्होंने कहा है कि हम नहीं चाहते हैं कि दाल की कीमतों में बढ़ोतरी हो और देश की आम जनता को महंगाई की मार सहनी पड़े।
100 दिन में दाल की कीमतों में आएगी कमी
मोदी के लगातार दूसरे बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पासवान ने कहा कि उनके नेतृत्व में भारत दुनिया में एक शक्तिशाली देश बनेगा। पासवान बिहार में राजग के सहयोगी हैं और उन्हें मोदी सरकार में दोबारा मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही पासवान ने कहा कि हाल में तूर दाल की कीमतों में उछाल देखने को मिला था, जिसका कारण उत्पादन था। देश में खपत के मुकाबले दाल का कम उत्पादन होता है। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी होने लगती है, लेकिन उनके 100 दिन के प्लान से दाल की कीमतों में जरूर गिरावट आएगी।
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IPGA के अनुसार
इंडियन पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) की मैनेजिंग कमेटी के सचिव सुनील रामजी सावला ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान उत्पादन में कमी आने के कारण दान की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है। एंजेल ब्रोकिंग (रिसर्च, कमोडिटी एंड करंसी) के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक तुअर दाल के भाव अगले दो महीने में 6000 रुपए प्रति कुंतल के स्तर को पार कर सकते हैं। अजय केडिया के मुताबिक तुअर की कीमतों पर रुपए में गिरावट का भी असर दिख सकता है।
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