8 नवंबर को होगा कंपनियों का ऐलान- रेल मंत्रालय के मुताबिक, प्राइवेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर 21 जुलाई को पहली Pre-Bid कॉन्फ्रेंस होगी। इसके बाद 12 अगस्त को दूसरी Pre-Bid कॉन्फ्रेंस की जाएगी। निजी कंपनियां 8 सितंबर तक आवेदन कर सकती हैं वहीं रेलवे 8 नवंबर तक कंपनियों को शार्ट लिस्ट (Shortlist) कर इन्हें फाइनल कर देगा, जिसके बाद शार्ट लिस्ट की गई कंपनियां बोली (Bid) में हिस्सा लेंगी।
30 हजार करोड़ रूपए का होगा निवेश-
एक अनुमान के मुताबिक प्राइवेट कंपनियों के आने से लगभग 30 हजार करोड़ रूपए का निवेश आने की संभावना है । मंत्रालय ने कंपनियों से रिक्वेस्ट फॉर क्लिफिकेशन की मांग की है। आपको बतादें कि 109 रूट्स पर चलने वाली प्राइवेट ट्रेन्स ( privatization of passenger trains ) 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेंगी और इनमें कम से कम 16 कोच होंगे ।
प्राइवेट कंपनियां उठाएगी पूरा खर्च- इस प्रोजेक्ट के तहत रेल ऑपरेट करने का पूरा खर्च ( रोलिंग स्टॉक , मेटीनेंस ) प्राइवेट कंपनीज को उठाना होगा,सिर्फ ड्राइवर और गार्ड रेलवे देगा । 35 सालों के इस कांट्रैक्ट में प्राइवेट पार्टी को एनर्जी और हौलेज चार्ज खपत के हिसाब से देना होगा।
मेक इन इंडिया ( Make In India ) के तहत होगा रेलों का निर्माण- 35 सालों के इस प्रोजेक्ट के लिए जितनी भी ट्रेनों का निर्माण होगा उन सभी का निर्माण मेक इन इंडिया ( Make In India ) के तहत किया जाएगा। इसका कंसेशन पीरियड 35 साल का हो सकता है। ग्रॉस रेवेन्यू का बंटवारा कमाई के रूप में होगा।
नए अवसरों का होगा निर्माण- प्राइवेटाइजेशन के जरिए सिर्फ रेलवे में निवेश नहीं आएगा बल्कि नए अवसर उत्पन्न होगे। रेलवे इसके जरिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी को सामने लाने की योजना बना रही है। इसके अलावा रेलवे का मेंटीनेंस बोझ कम होगा लोगों को सुरक्षा का भरोसा ज्यादा बढेगा ट्रांजिट टाइम में भी कमी आएगी, साथ ही लोगों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवेल फैसिलिटी मिलेंगी