बाढ़ से प्रभावित लोगों का स्टेटस
असम में बाढ़ की वजह 15 लोगों की मौत हो चुकी है। यह सरकारी आंकड़ा है। ब्रह्मपुत्र नदी की गोद में कितनी लाश समा गई ना तो इसका आंकड़ा मिलेगा। ना ही इसकी किसी को जरुरत होगी। क्योंकि सरकार देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डाॅलर की बनाने में जी जान से जुटी है। खैर मौजूदा समय में असम में बाढ़ से करीब 35 जिले चपेट में है। करीब 4200 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं। 42.87 लाख लोग यानी करीब 22 लाख परिवार या यूं कहें कि 22 लाख इकोनॉमी ऐसी दशा में हैं जिसे दिल्ली टीवी, रेडियो, वाट्सऐप, फेसबुक और ट्वीटर पर देख, सुन और पढ़ तो सकती है, लेकिन कुछ कर नहीं कर सकती।
असम के एक परिवार की इकोनॉमी कैसे होती है प्रभावित
बाढ़ में सिर्फ सरकार मरने वाले लोगों का सरकारी आंकड़ा, राहत शिविर और सरकारी बातें करने के अलावा कुछ नहीं बताती। सरकार इस बात का जिक्र नहीं करती कि ग्रामीण इलाके में रहने वाले घास और फूस के घर जब डूब जाते हैं तो उससे कितना नुकसान होता है। आइए आपको भी बताने का प्रयास करते हैं। 400 वर्ग फुट के दो कमरे के फूस के मकान को बनाने में कम से कम 50 हजार रुपए लगते हैं। 200 बांस की कीमत 16 हजार रुपए, कील और रस्सी की कीमत 5000 रुपए, 10 दिनों तक 4 लेबर 12 हजार रुपए, मिट्टी 10 हजार रुपए और टिन शेड 10 हजार रुपए के आते हैं। एक कमरे के फूस की कीमत 30 हजार रुपए तक आती है।
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अनुमानित नुकसान
अब जरा फूस के कुल मकानों के नुकसान की बात करते हैं। जैसा कि सरकारी आंकड़े के अनुसार 42.87 लाख लोग प्रभावित हैं। हम इसे 44 लाख मान लेते हैं, क्योंकि सरकार की नजरों से छूट गए होंगे। एक परिवार में 4 लोग यानी 11 लाख परिवार हो जाते हैं। जिनमें से हम मानकर चलते हैं कि ग्रामीण इलाकों 11 लाख परिवारों में से 6 लाख परिवार फूस की झोपड़ी में रहते हैं। जिनमें 3 लाख फूस के मकान दो कमरों के और 3 लाख एक कमरे के हैं। ऐसे में दो कमरों के फूस के मकानों का नुकसान 50 हजार रुपए प्रति मकान के हिसाब से 1500 करोड़ और एक कमरे के फूस के मकानों का नुकसान 30 हजार रुपए प्रति मकान के हिसाब से 900 करोड़ रुपए हो जाता है। यानी कुल झोपड़ियों का ही नुकसान 2400 करोड़ रुपए का है। यह अनुमानित आंकड़ा है। लेकिन सरकार अगर हिसाब लगाएगी तो इतना ही बैठेगा।
मवेशी और दुकानों के सामान का हिसाब नहीं
अगर बात दूसरी चीजों की करें जो सरकारी आंकड़ें में नहीं होता है वो है मवेशियों का मरना। लेकिन यह भी इकोनॉमी का अहम हिस्सा हैै। अभी असम में भैंस, गाय और बकरियों के मरने की संख्या नहीं आई है। लेकिन ब्रह्मपुत्र गर्भ में लाशें उनकी भी होंगी। एक सामान्य भैंस की कीमत की बात करें तो 40 हजार रुपए होती हैं। वहीं गाय की कीमत 30 हजार रुपए के आसपास होती है। बकरी भी 5000 रुपए से कम नहीं आती। इसके अलावा किसी भी गांव में पान और परचून की दुकान होना आम बात है। वो भी बाढ़ का ग्रास बनती है। एक सामान्य पान की दुकान में 25 हजार रुपए का सामान होता है। परचून की दुकान की बात करें तो 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक सामान होता है। अगर बाढ़ में एक क्विंटल चावल बह जाते हैं तो 10 हजार रुपए से ज्यादा का नुकसान समझिये।
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इन राज्यों को हुआ इतना नुकसान
पिछले साल केरल के बाढ़ की बात करें तो 350 से ज्यादा लोगों की मौत के साथ 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। वहीं बात हाल ही महाराष्ट्र में बारिश और बाढ़ की स्थिति से राज्य के लोगों को काफी नुकसान हो गया है। एक अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र में बारिश की वजह से 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में औसतन 3 से 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
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