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क्रूड आॅयल से बढ़ेगी महंगार्इ
मौजूदा समय में क्रूड आॅयल के दाम आैर उसकी कम सप्लार्इ भारत के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनी हुर्इ है। र्इरान से आॅयल आयात खत्म होने के बाद यह मुसिबत आैर ज्यादा बढ़ जाएगी। भारत 2 मर्इ के बाद र्इरान से क्रूड आॅयल आयात नहीं कर पाएगा। वैसे भारत की आेर से दावा किया गया है कि क्रूड आॅयल को लेकर देश में कोर्इ चिंता नहीं है। भारत के पास कर्इ वैकल्पिक रास्ते हैं। एंजेल ब्रोकिंग रिसर्च कमोडिटी एंड करंसी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता की मानें तो अगर देश खुद क्रूड आॅयल का प्रोडक्शन कर र्इरान के गैप को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। तो कोर्इ दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर देश साउदी अरब या बाकी आेपेक देशों की आेर देख रहा है कोर्इ फायदा नहीं है। क्योंकि इससे डिमांड बढ़ेगी आैर क्रूड आॅयल के दामों में इजाफा होगा।
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मौजूदा समय में यह है क्रूड आॅयल की स्थिति
मौजूदा समय में क्रूड आॅयल के दाम की बात करें तो वो 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। फिलहाल क्रूड आॅयल के दाम 74 डाॅलर प्रति बैरल से उपर पहुंच चुके हैं। अांकड़ों की मानें तो मंगलवार को जून डिलीवरी के लिए ब्रेंट फ्यूचर 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ प्रति बैरल 74.51 डॉलर पर कारोबार कर रहा था, जो 31 दिसंबर को प्रति बैरल 54.57 डॉलर की कीमत से 37 फीसदी अधिक है। सोमवार को क्रूड फ्यूचर में भारी तेजी आई थी। ब्रेंट नॉर्थ सी क्रूड मंगलवार को प्रति बैरल 74.70 डॉलर पर पहुंच गया, जो नवंबर के बाद का उच्च स्तर है। डब्ल्यूटीआई भी छह महीने के उच्च स्तर प्रति बैरल 66.19 डॉलर पर पहुंच गया।
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कच्चे तेल की कीमतों से रुपए मं आएगी गिरावट
भारत अपनी तेल की कुल जरूरत का 80 फीसदी आयात करता है। अगर बात र्इरान की करें तो 2.57 लाख बैरल क्रूड आॅयल आयात कर रहा था। यह नवंबर 2018 से पहले का आंकड़ा है। प्रतिबंध लगने के बाद कुछ देशों को रियायत दी गर्इ थी। जिसमें भारत का नाम शामिल था। उसके बाद से भारत 1.50 लाख बैरल क्रूड आॅयल आयात कर रहा था। 2 मर्इ के बाद यह भी आयात नहीं हो जाएगा। वेनेजुएला पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होगी आैर डॉलर की मांग बढ़ेगी, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। रुपये की कीमत में गिरावट से विदेशों से आने वाले सामान की कीमतों में इजाफा हो जाएगा। आपको बता दें कि कच्चे तेल की कीमत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से महंगाई दर 0.20 फीसदी बढ़ जाती है।
मानसून के कमजोरी भी बढ़ा सकती है महंगार्इ
वहीं दूसरी आेर इस बार मानसून के कमजोर होने की आशंका जतार्इ जा रही है। स्कार्इमेट के अनुमान कच्चे तेल की कीमत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से महंगाई दर 0.20 फीसदी बढ़ती है। स्कार्इमेट के अनुसार मानसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है। दरअसल एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश ‘सामान्य से कम’ वाली श्रेणी में आती है। 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है। स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है। स्काईमेट के पूर्वानुमान के मुताबिक ‘सामान्य से कम बारिश’ की 55 फीसदी संभावना है। 2 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि केंद्रित है, जो पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। भारत में सालाना होने वाली बारिश में मानसून की हिस्सेदारी 70 फीसदी से अधिक होती है। अगर स्कार्इमेट का अनुमान सही लगता है तो देश में महंगार्इ की संभावना बढ़ जाएगी।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एंजेल ब्रोकिंग रिसर्च कमोडिटी एंड करंसी के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता कहना है कि आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था के लिए मानसून आैर क्रूड आॅयल के दाम काफी महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। दोनों तय करेंगे कि देश में महंगार्इ दर क्या रहेगी? उन्होंने कहा क्रूड देश मं चुनाव का माहौल है। इंटरनेशनल मार्केट में प्रोडक्शन कम आैर डिमांड ज्यादा है। वहीं र्इरान आैर वेनेजुएला पर प्रतिबंध है। एेसे में क्रूड आॅयल के दाम बढ़ने तय है। वहीं इस बार मानसून का अनुमान भी अच्छा नहीं आया है। एेसे में देश में आने वाले महीनों में 4 से 4.5 फीसदी तक महंगार्इ दर बढ़ सकती है। अगर मौजूदा समय में महंगार्इ दर की बात करें तो आखिरी बार महंगार्इ दर के आंकड़ें मार्च में जारी हुए थे। वो आंकड़े फरवरी के थे। उस समय देश में महंगार्इ दर 2.57 फीसदी दर्ज की गर्इ थी। जबकि 2018 में महंगार्इ 4 फीसदी से ज्यादा दर्ज की गर्इ थी।
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