करीब एक साल से मांग रहा था मदद
इमरान खान के पद संभालने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से संपर्क किया था। देश की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि कुछ दिनों बाद उसके पास कच्चा तेल खरीदने के लिए रुपया नहीं रहता। देश में महंगाई भी आसमान में पहुंच गई है। ऐसे में आईएमएफ से मदद मिलना बड़ी राहत की बात मानी जा रही है। आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान की आर्थिक योजना को मदद देने के लिए तीन साल के लिए छह अरब डॉलर के कर्ज की मंजूरी दी है। यह कर्ज देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने और जीवन दशा को बेहतर करने के मकसद से दिया गया है।
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अमरीका ने की थी ताकीद
वहीं इससे पहले अमरीका ने आईएमएफ को आगाह किया था कि पाकिस्तान को राहत पैकेज देने से पहले 10 विचार किए। अमरीका ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि पाकिस्तान हमेशा से आर्थिक एजेंसियों से मदद लेता रहा है। उसके बाद भी उसके हालातों में सुधार देखने को नहीं मिला। पाकिस्तान बाहर से आई मदद को आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगाता रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की मदद करना बेकार है। मौजूदा ट्रंप सरकार हमेशा से आतंकवाद और उसको बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ मुखर रही है।
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इससे पहले इन देशों से भी मिल चुकी है मदद
आईएमएफ से पहले पाकिस्तान को तीन खाड़ी देशों और चीन से आर्थिक मदद मिल चुकी है। चीन ने जमा और वाणिज्यिक कर्ज के तौर पर पाकिस्तान को 4.6 करोड़ डॉलर दिए है। वहीं सऊदी अरब ने तीन अरब डॉलर नकद और 3.2 अरब डॉलर का तेल दिया पाकिस्तान को दिया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से पाकिस्तान सरकार को दो अरब डॉलर नकद मिला। वहीं अन्य खाड़ी देश कतर ने पाकिस्तान को जमा और प्रत्यक्ष निवेश के तौर पर तीन अरब डॉलर देने का ऐलान किया है।
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