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कौन लेगा कर्ज?
केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी कर्ज के बोझ से दबी हुई हैं। ऐसे में खर्च पूरे करने या जीएसटी की भरपाई के लिए कर्ज कौन लेगा यह बड़ा सवाल बन गया है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि कमाई काफी घट गई है। जिसकी वजह से राज्यों को बाजार से कर्ज खुद उठाना होगा, लेकिन राज्य सरकारों की ओर से साफ कर दिया है कि मुआवजा देने के लिए केंद्र खुद कर्ज लें। अब राज्यों को मुआवजा राशि की भरपाई के लिए 2 विकल्प दिए गए हैं। केंद्र खुद उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे या फिर आरबीआई से उधार लिया जाए। राज्य 7 दिनों के भीतर अपनी राय देने को कहा गया है।
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क्या किया गया था वादा
जीएसटह काउंसिल की मीटिंग में अटॉर्नी जनरल की ओर से कहा गया कि 2017 में जीएसटी लागू हुआ था तो तो पांच सालों के लिए ट्रांजिशन पीरियड की घोषणा हुई थी। यह वक्त जून 2022 तक है। केंद्र की ओर से वादा किया गया था कि जिन राज्यों की कमाई पर जीएसटी से असर देखने को मिलेगा उसकी भरपाई केंद्र द्वारा की जाएगी। मार्च के महीने में हुई काउंसिल की मीटिंग के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुआवजे की भरपाई पर कानूनी सलाह ली थी।
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जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट
फाइनैंस सेक्रेटरी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से जीएसटी कलेक्शन में भारी गिरावट देखने को मिली है। कानून के अनुसार राज्यों को जीएसटी कंपेनसेशन देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र ने राज्यों को जीएसटी कंपेनसेशन के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपए दिए थे। मार्च में दिए गए 13806 करोड़ भी शामिल है। वित्त वर्ष 2019-20 में सेस कलेक्शन 95444 करोड़ रुपए का देखने को मिला था।