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अपने शोध पत्र में जाहिर की गंभीर चिंताएं
पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमणियन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ शोध पत्र लिखा है। अपने शोध पत्र में भारत की इकोनॉमी के बारे में लिखते हुए उन्होंने कहा है कि मौजूदा समय में भारत बैंक, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, एनबीएफसी और रियल एस्टेट जैसे 4 सेक्टर की कंपनियों के खराब आंकड़ों का सामाना कर रही है। वहीं ब्याज दर और वृद्धि के प्रतिकूल चक्र में फंसी हुई है। सुब्रमणियन ने दिसंबर, 2014 में सरकार को दोहरे बही खाते की समस्या के बारे में कहा था। उन्होंने देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में सरकार को आगाह किया था कि निजी कंपनियों पर बढ़ता कर्ज बैंकों की नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स बन रहा है।
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सभी सेक्टर्स में गिरावट
अरविंद सुब्रमणियन ने अपने नए शोध पत्र को दो भागों टीबीएस और टीबीएस-2 में विभाजित किया है। टीबीएस-1 स्टील, बिजली और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों को दिए बैंक कर्ज के बारे में जानकारी दी गई है। यह कर्ज 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए बना। टीबीएस-2 नोटंबदी के बाद की स्थिति के बारे में है। इसमें एनबीएफसी और रियल एस्टेट कंपनियों के बारे में जानकारी दी गई है। जीडीपी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे इंपोर्ट और एक्सपोर्ट दोनों प्रभावित हुए हैं।
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आखिर क्यों कहा, आईसीयू में है इकोनॉमी?
अरविंद सुब्रमणियन ने देश की इकोनॉमी में जाने के बारे में क्यों कहा? इसके बारे में कई उदाहरण पेश किए जा सकते हैं। दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार भारत की विकास दर 4.5 फीसदी है। जो 6 साल से ज्यादा के निचले स्तर पर है। वहीं आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष की अनुमानित विकास दर 5 फीसदी रखी है। जो आने वाले दिनों अनुमानों में और गिर सकती है। वहीं एशियन बैंक, वल्र्ड बैंक, मूडीज और बाकी आर्थिक एजेंसियों ने देश की अनुमानित विकास दर को पांच फीसदी पर आंका है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख गीता गोपीनाथ ने भी साफ कर दिया है कि जनवरी में वो भारत की अनुमानित विकास को दर को गिराने जा रही है। इसके अलावा खुदरा महंगाई दर 3 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। कोर सेक्टर लगातार तीसरे महीने गिरा है।