इस सर्वे में करीब 37 फीसदी महिलाएं कामकाजी और अन्य गृहणी थीं। एक बिजनेस वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में दो बच्चियों की मां सीमा घोष कहती हैं कि अगर ऐसे ही फीस बढ़ता रहा तो मैं अपने बच्चों को अंग्रेजी-माध्यम स्कूल में नही पढ़ा पाउंगी। हमें परेशान होकर उन्हें किसी ऐसे स्कूल में पढ़ाना पड़ेगा, जहां बेहतर सुविधाएं न हों।
बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए कितना हिस्सा
बीते कुछ सालों में शिक्षा पर होने वाला खर्च बढ़ा है। भारत में हर साल बजट में कुल GDP का करीब 2.7 फीसदी हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दुनियाभर के कई विकसित देशों की तुलना में यह बेहतर भी है। सरकार की थिंक टैंक मानी जाने वाली नीति आयोग ( niti aayog ) का मानना है कि साल 2022 तक भारत को अपने कुल GDP का 6 फीसदी हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करना चाहिए।
बजट में क्या हैं महिलाओं को उम्मीद
स्कूल फीस में कमी | 85 फीसदी |
घरेलू वस्तुओं की कीमतों में कटौती | 84 फीसदी |
पब्लिक प्लेस पर ब्रेस्टफीडिंग | 84 फीसदी |
पब्लिक प्लेस पर ब्रेस्टफीडिंग | 84 फीसदी |
ऑफिस में डे-केयर की सुविधा | 84 फीसदी |
नए मां के लिए नौकरियों के विकल्प | 82 फीसदी |
साफ -सुथरा पब्लिक टाॅयलेट | 82 फीसदी |
बच्चों के लिए सस्ता वैक्सिन | 79 फीसदी |
बच्चों के लिए अधिक हाॅस्पिटल | 82 फीसदी |
इन समस्याओं से भी होना पड़ रहा परेशान
इस सर्वे में भाग लेने वाली करीब 80 फीसदी महिलाओं की चिंता यह भी है कि नौकरियों का अवसर मिलना सबसे मुश्किल रहा है। इन महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी काॅरपोरेट सीढ़ीयां चढ़ने में होती है। करीब 42 फीसदी महिलाएं ग्रैजुएट होती हैं, लेकिन इनमें मात्र 24 फीसदी महिलाएं प्रोफेशनल बनने में सफल हो पाती हैं। केवल 7 फीसदी महिलाएं ही सीनियर पोस्ट काम कर पाती हैं। प्रेग्नेंसी इस आंकड़ों को और भी चिंताजनक बना देती है। वर्कप्लेस में महिलाओं के लिए कई अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं ने लोकभा चुनाव में बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
बीते लोकसभा 2019 चुनाव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने वोट किया। इन महिलाओं की बड़ी संख्या में वोट करने के पीछे सबसे बड़ा कारण जन-धन योजना से लेकर उज्ज्वला योजना से मिलने वाला लाभ रहा। चुनाव आयोग ने भी महिलाओं की सुविधा को देखते हुए अधिक से अधिक संख्या में महिला स्टाफ को बूथ पर वोटिंग अधिकारी के रूप में भी भेजा।
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