दरअसल, मसला ये है कि कृषि के लिए पिछले पांच साल में कई वादे किए जा चुके हैं। इसलिए इस बार मसला सिर्फ किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (
minimum support price ) मिलना या अगले तीन साल में आमदनी दोगुनी करना भर नहीं है। यह मसला अब काफी आगे निकल चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharman) पर इस बार किसानों की इन अपेक्षाओं पर ध्यान देने का भी दबाव है।
क्या है किसानों की सरकार से अपेक्षा कृषि उपकरणों की खरीद पर मिले सब्सिडी किसानों के लिए ट्रैक्टर और सिंचाई के पंप अब जरूरी उपकरण हो गए हैं। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की है कि इन जरूरी उपकरणों की खरीद पर किसानों को ब्याज में सब्सिडी देने की व्यवस्था की जाए। अगर ट्रैक्टर और सिंचाई पंप जैसे उपकरणों को कर मुक्त कर दिया जाय तो इससे किसानों को बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।
टैक्स का बोझ कम होने से इन उपकरणों की कीमत में कमी आएगी। इसके साथ ही किसानों को कृषि उपकरण खरीदने के लिए ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाना चाहिए। इससे किसानों में कृषि उपकरण खरीदने को प्रोत्साहन मिलेगा और कृषि उपज बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
बजट 2019: सरकार कहां से लाएगी 87 हजार करोड़, कैसे बनाएगी खेती को लाभ का सौदा? डेयरी उत्पादों के भाव भारत में अधिकतर किसान खेती के साथ पशुपालन का काम भी करते हैं। यह वास्तव में कृषि से जुड़ा पेशा है जिसकी वजह से किसान इसमें खासी रुचि लेते हैं। डेयरी उत्पादों का बाजार भाव और किसानों को मिलने वाली कीमत में कोई संबंध नहीं होने की वजह से पशुपालकों को दिक्कत होती है। पशुओं के चारे के भाव लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि उनके उपज के भाव में मामूली वृद्धि होती है।
इसलिए किसानों की सरकार से अपेक्षा है कि पशु चारे के भाव पर नियंत्रण करने की पहल करनी चाहिए। इसके साथ ही पशुपालकों के उत्पाद और उपज के लिए बाजार भाव आधारित सिस्टम पर जोर देना चाहिए।
बड़ा खुलासा: कश्मीर घाटी के इन अलगाववादी नेताओं के 220 बच्चे विदेशाेें में रहते हैं अवैध व्यापार पर भारी दंड हर मौसम में कृषि उपज आने के साथ ही सप्लाई चेन में दलाल सक्रिय हो जाते हैं। इस वजह से किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। बिचौलिए वास्तव में किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और किसान से उनकी फसल औने-पौने दाम पर खरीद लेते हैं। यह सिलसिला पहले की तरह आज भी जारी है।
इसलिए देश के किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर कृषि उपज खरीदना दंडनीय अपराध बनाया जाए। इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी। इस तरह के कदम से किसानों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
जल संरक्षण को मनरेगा से जोड़ने पर बल बदलते दौर के हिसाब से किसानों की मांग है कि जल संरक्षण से जुडी गतिविधियों को मनरेगा के तहत लाकर इसका प्रभावी हल निकाला जा सकता है। जल संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट को मनरेगा से जोड़ने से महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
पूर्ण बजट में झलकेगा पीएम मोदी का किसान प्रेम, क्रेडिट कार्ड पर मिल सकता है ब्याजरहित लोन एग्रो प्रोसेसिंग प्लांट मोदी सरकार ने चुनाव के दौरान 50 से 100 गांव का क्लस्टर बनाकर वहां एग्रो-प्रोसेसिंग प्लांट लगाने और उनके कर्ज माफ करने का वादा किया था। किसानों का कहना है कि सरकार वादों के अनुरूप एग्रो प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित कर फसल की आसान पहुंच मंडी तक सुनिश्चित करे और न्यूनतम समर्थन मूल्य ( minimum support price ) के मुताबिक किसानों को उचित कीमत दिलाने के लिए जरूरी तंत्र भी सुनिश्चित करे।