श्रीकृष्ण की अस्थियों से बनी हैं जगन्नाथ की मूर्तियां, मंदिर से जुड़े ये 10 रहस्य भी हैं रोचक
jagannath rath yatra : विष्णु जी से नाराज होकर मां लक्ष्मी ने तोड़ दिया था उनके रथ का एक पहिया
रथ यात्रा के बाद मौसी के घर पहुंचने पर जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं, ऐसे में उनका खास ख्याल रखा जाता है
श्रीकृष्ण की अस्थियों से बनी हैं जगन्नाथ की मूर्तियां, मंदिर से जुड़े ये 10 रहस्य भी हैं रोचक
नई दिल्ली। पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। इस बार रथ यात्रा की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है। इस मौके पर हम आपको मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बताएंगे।
1.जगन्नाथ पुरी में भगवान कृष्ण के स्वरूप की पूजा की जाती है। यहां भगवान जगन्नाथ के रूप में अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। 2.जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कुछ पुराणों के अनुसार सुभद्रा जब विवाह के बाद अपने मायके आती हैं, तब उन्होंने अपने भाईयों से नगर भ्रमण के लिए कहा था। तब वह अपने भाई जगन्नाथ और बलराम के साथ रथ पर सवार होकर निकली थीं।
3.एक अन्य धार्मिक मान्यता के तहत जगन्नाथ मंदिर के पास गुंडीचा का मंदिर है। ये श्रीकृष्ण की मासी का घर माना जाता है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण की मासी ने उन्हें उनके घर आने का निमंत्रण दिया था। तभी वो रथ पर सवार होकर अपने भाई—बहनों के साथ उनके यहां 10 दिनों के लिए रहने जाते हैं। इसी मौके को रथ यात्रा के तौर पर मनाया जाता है।
4.जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की कथा भी काफी रोचक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रीकष्ण की मृत्यु से उनके भाई-बहन बहुत आहत थे। इसलिए वे उनके पार्थिव शरीर को लेकर समुद्र में कूद जाते हैं। तभी भारत के पूर्वी हिस्से में रह रहे राजा इंद्रद्विमुना को मंदिर निर्माण का स्वप्न आता है।
5.बताया जाता है कि सपने में राजा को दिखता है कि समुद्र में श्रीकृष्ण का शरीर तैर रहा है इसलिए उन्हें इससे श्रीकृष्ण की विशाल मूर्ति का निर्माण कराना चाहिए। 6.स्वप्न में मिले आदेश के तहत राजा ने श्रीकृष्ण समेत बलराम और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण कराया। इसके लिए उन्होंने लकड़ी का प्रयोग किया था। उन्होंने मूर्ति बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था। मगर उनकी शर्त थी कि उनके काम में कोई बाधा न डालें, वरना वे कार्य अधूरा छोड़ देंगे।
7.एक दिन राजा उत्सुकता के चलते निर्माण कार्य का जायजा लेने पहुंच गए। उन्हें देखते ही विश्वकर्मा भगवान गायब हो गए। इसी के चलते आज तक जगन्नाथ धाम की मूर्तियां कभी पूरी नहीं बन पाईं। ये आज भी अधूरी हैं। मगर भगवान के निर्देशानुसार राजा ने मूर्तियों के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की अस्थियां रख दी। इसके बाद मंदिर में इनकी स्थापना कर दी।
8.जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाली रथ यात्रा का भी एक रहस्य है। बताया जाता है कि रथ यात्रा के तीसरे दिन जब मां लक्ष्मी विष्णु जी को ढूढंते हुए उनके दरबार पहुंचती हैं तब द्वैतापति दरवाजा बंद कर देते हैं। इससे नाराज होकर लक्ष्मी जी रथ का पहिया तोड़ देती हैं।
9.बताया जाता है कि लक्ष्मी जी नाराज होकर पुरी के मुहल्ले हेरा गोहिरी साही में स्थित अपने एक मंदिर में लौट जाती हैं। जब विष्णु जी को इस बात का पता चलता है तो वे उन्हें मनाने जाते हैं। जिस दिन मां लक्ष्मी मान जाती हैं उस दिन पुरी में विजया दशमी और वापसी को बोहतड़ी गोंचा के रूप में मनाया जाता है।
10.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौसी के घर आने के दौरान भगवान जगन्नाथ समेत उनके भाई-बहनों की खूब खातिरदारी की जाती है। उन्हें छप्पन भोग लगाएं जाते हैं। मगर इसी दौरान जगन्नाथ जी बीमार पड़ जाते हैं तब उन्हें एक विशेष कमरे में रखा जाता है।
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