1.कछुआ अंगूठी धातु से बनी एक वस्तु है। आमतौर पर ये चांदी से बनी होती है, लेकिन इन दिनों ये सोना व अन्य मेटल में भी उपलब्ध है। कई लोग इसमें कीमती रत्न भी जड़ाकर पहनते हैं। इस अंगूठी में कछुए की आकृति बनी होती है।
2.फेंगशुई में कछुआ एक बहुत ही शक्तिशाली जीव है। इसे गुड लक के चार स्तम्भों में से एक माना गया है। विद्वानों के अनुसार कछुआ पूरी सृष्टि जुड़ा हुआ है। इसका उपरी हिस्सा स्वर्ग से और नीचे का भाग धरती से संबंध रखता है।
3.फेंगशुई के अलावा भारतीय धार्मिक दृष्टिकोण से भी कछुआ बहुत महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कछुए को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। साथ ही समुद्र मंथन के दौरान कछुए के निकलने से इसे देवी लक्ष्मी का भी प्रिय कहा गया है।
4.धार्मिक मान्यताओं से जुड़े होने के कारण कछुआ अंगूठी पहनने से घर में बरक्कत होती है। ये बाहरी धन को अपनी ओर खीचता है। जिससे ये गरीब को भी राजा बना देता है। 5.चूंकि कछुए को स्वर्ग व धरती से जुड़ा माना जाता है इसलिए इसे पहनने से ये आस-पास के महौल को खुशनुमा बनाता है। ये परिवार के सदस्यों में त्याग और प्रेम की भावना बढ़ाता है, जिससे उनमें भतभेद नही होते हैं।
6.कछुआ अंगूठी पहनने से प्रेम संबंध भी बेहतर होते हैं। ये पति-पत्नी व प्रेमी-प्रेमिका को एक-दूसरे के प्रति आकर्षित करता है। ये आपस में प्यार बढ़ाता है। साथ ही ये व्यक्ति को अपने पार्टनर के लिए वफादार होने के लिए भी प्रेरित करता है।
7.कछुए को लंबे समय तक जीने वाला प्राणी माना जाता है। इसलिए इसकी अंगूठी को पहनते ही रोग दूर हो जाते है। शरीर में नई ऊर्जा उत्पन्न होती है। साइंस के मुताबिक कछुआ अंगूठी पहनने से शरीर के कुछ विशेष नस दबते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ्य रहता है।
8.कछुआ अंगूठी की एक और खासियत है। ये व्यक्ति के मन से बुरे व नकारात्मक विचारों को दूर करता है। साथ ही ह्दय में सकारात्मक भावना का संचार करता है। ये जीवन में आगे बढ़ने और तरक्की के लिए प्रेरित करता है।
9.कछुआ अंगूठी को करियर के लिए भी अच्छा माना गया है। इसे धारण करते ही ये आपके सोए हुए भाग्य को जगाता है। आपके बिगड़े हुए कामों को ठीक करता है और लोगों के दिलों में आपके प्रति सम्मान पैदा करता है। इससे आपको अपने व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
10.कछुआ अंगूठी हमेशा शुक्रवार को ही खरीदनी और पहननी चाहिए। इसे पहनने से पहले अंगूठी को दूध में धोना चाहिए। फिर इसे भगवान को स्पर्श कराकर धूप-दीप दिखाना चाहिए। अंगूठी को सीधे हाथ की मध्यमा व तर्जनी उंगली में ही पहनना चाहिए।