1.देवी मां की मूर्ति अगर सही दिशा में रखी जाए तो पूजन का दोगुना लाभ मिलता है। मगर यही अगर गलत दिशा में रखी जाए तो अनर्थ हो सकता है। शास्त्रों के मुताबिक मां लक्ष्मी की प्रतिमा कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए। इससे धन का नाश हो सकता है।
2.हिंदू धर्म के अनुसार मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर कभी खड़ी अवस्था में नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मां लक्ष्मी को चंचल माना जाता है। इसलिए कहते हैं कि खड़े रूप में उनकी स्थापना करने से वो जल्द ही घर से चली जाती हैं। इसलिए उनकी बैठे हुए स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
3.घर में कभी भी मां लक्ष्मी की एक से ज्यादा तस्वीर या मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि इससे निर्धनता आती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार पूजा स्थान पर लक्ष्मी मां की दो मूर्तियां रखना अशुभ होता है।
4.घर में कभी भी मां लक्ष्मी की ज्यादा ऊंची प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि उनका कद जितना बढ़ेगा घर में धन-धान्य की वृद्धि उतनी ही कम होगी। 5.मां लक्ष्मी की मूर्ति कभी भी अकेले न रखें। चूंकि वो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, इसलिए उन्हीं के साथ मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इससे घर में सुख-शांति का महौल रहता है।
6.यूं तो मां लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ की जाती है, लेकिन दीवाली के दिन को छोड़कर अन्य किसी भी दिन मां लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ नहीं की जानी चाहिए। क्योंकि गणेश जी मां लक्ष्मी के भाई हैं। जबकि भगवान विष्णु देवी के पति। इसलिए उनका पूजन विष्णु जी के साथ करना चाहिए।
7.मां लक्ष्मी का प्रिय वाहन उल्लू है, लेकिन घर में उनकी तस्वीर ऐसी रखनी चाहिए जिसमें वो अपनी सवारी पर सवार न हो। क्योंकि मां लक्ष्मी और उनका वाहन दोनों ही चंचल हैं और उल्लू पर सवार होने से वो ज्यादा समय तक एक जगह नहीं टिकेंगी।
8.कई लोग दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश के पूजन के बाद मूर्ति को सालभर घर में रखते हैं। इसके बाद अगली दीवाली पर इसे बदलते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार दीवाली की पूजा के अगले दिन ही मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति का विजर्सजन कर देना चाहिए।
9.कई लोग घर पर देवी लक्ष्मी की सेरेमिक की मूर्ति रखते हैं। जबकि शास्त्रों में पीतल, कांसा एवं मिट्टी से बनी हुई मूर्ति को ही शुद्ध माना जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य किसी चीज की मूर्ति को अशुद्ध माना जाता है। इससे मूर्ति दोष हो सकता है।
10.बहुत से लोग देवी की मूर्ति को दीवार से व सिंहासन पर सटाकर रखते हैं। जबकि वास्तु शास्त्र के अनुसार ये एक तरह का दोष होता है। इसलिए मूर्ति से किसी चीज के बीच की दूरी कम से कम दो इंच होनी चाहिए।