1.पितृपक्ष में कभी भी लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन्हें नकारात्मक प्रभाव का माना गया है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीतल, कांसा व पत्तल की थाली व पात्र का प्रयोग करना चाहिए।
2.पितृपक्ष में श्राद्ध क्रिया करने वाले व्यक्ति को पान, दूसरे के घर का खाना और शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि पान को व्यासना से जोड़ा गया है। जबकि दूसरे के घर का खाना शुद्ध न होने से इसे नहीं खाना चाहिए।
3.श्राद्ध पक्ष में कभी भी कोई नया काम नहीं करना चाहिए और न ही नई चीज खरीदनी चाहिए। क्योंकि उस वक्त पितरों को याद करने और शोक का समय होता है। 4.पितृ पक्ष के समय कुत्ता, बिल्ली, कौवा आदि पशु-पक्षियों को भोजन खिलाना चाहिए। माना जाता है कि पितृ गढ़ इन्हीं में से किसी का रूप धारण करके आते हैं। श्राद्ध पक्ष में कभी पितरों को भोजन दिए बिना खुद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, इससे पितृ दोष लगता है।
5.श्राद्ध पक्ष के दौरान कभी भी भिखारी व जरूरतमंद का अपमान न करें और न ही उसे खाली हाथ जानें दें। क्योंकि कई बार पितृ गढ़ ऐसे भेष में भी आ सकते हैं। 6.श्राद्ध पक्ष के दौरान पुरुषों को 15 दिनों तक अपने बाल एवं दाढ़ी—मूंछें नहीं कटवानी चाहिए। क्योंकि ये शोक का समय होता है। ऐसा न मानने पर धन की हानि एवं कार्यों में फंसाव जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
7.श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोजन अर्पित किया जाता है। इसलिए गृहणियां इसे बनाती हैं। मगर ध्यान रहे कि वो इसे न तो चखे और न ही खाएं। क्योंकि उन्हें श्राद्ध क्रिया करने का अधिकार नहीं है।
8.पितृ पक्ष पर चतुर्दशी को श्राद्ध क्रिया नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन को फलदायी नहीं माना जाता है। हालांकि जिन लोगों की मृत्यु इसी तिथि में हुई है, सिफ वो ही इस दिन कर्मकांड कर सकते हैं।
9.पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, खीरा एवं बांसी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनकी तासीर अलग मानी जाती है। इन्हें खाने से पितृ नाराज हो सकते हैं।
10.पितृ पक्ष के दौरान घर आए मेहमान को कभी बिना खिलाएं नहीं जाने देना चाहिए। क्योंकि ये पितरों का भी रूप लेकर आ सकते हैं। इसलिए उन्हें पानी जरूर पिलाएं। ऐसा करने से आपके दोष मिटेंगे।