अदूरदर्शिता पड़ रहा भारी
बताया जा रहा है कि ऑडिटोरियम की स्वीकृति के दौरान तत्कालिन अफसरों ने दूरदर्शिता नहीं दिखाई और वीआईपी लाउज और बेसमेंट जैसे जरूरी सुविधाओं के प्रावधान के बिना ही प्रपोजल स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिया। सरकार ने भी बिना परीक्षण इसकी मंजूरी दे दी। तत्कालिन अफसरों की यह अदूरदर्शिता अब भारी पड़ रहा है।
साल भर से अटका है प्लान
वीआईपी लाउज और बेसमेंट के साथ देरी के कारण खर्च में बढ़ोतरी को मिलाकर अब ऑडिटोरियम में करीब 21 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इस आधार पर रिवाइज्ड प्लान बनाकर मंजूरी के लिए करीब सालभर पहले ही विभाग को भेजा जा चुका है, लेकिन इसकी मंजूरी अब तक नहीं मिल पाई है। कोरोना के कारण उपजे आर्थिक संकट को देरी का कारण बताया जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिखाई गंभीरता
इधर ऑडिटोरियम का निर्माण करीब एक साल से बंद है। इस बीच अफसर व स्थानीय जनप्रतिनिधि स्थल निरीक्षण करते रहे, लेकिन रिवाइज्ड प्लान की मंजूरी अथवा काम शुरू कराने में ध्यान नहीं दिया। अफसरों का कहना है कि बिना मंजूरी काम शुरू कराना संभव नहीं है, जबकि जनप्रतिनिधि इस दिशा में पहल करने की बात कह रहे हैं।