डॉ. सुबोध किरोलकर : राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत डॉ.सुबोध किरोलकर को चंदुलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में पदस्थत किया गया था। शासन ने क्षय रोग (टीबी) को नियंत्रण करने प्राइवेट अस्पतालों को जोड़ा है। यहां पहुंचे मरीजों को नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराकर मरीजों को फॉलो करना था, लेकिन डॉक्टर ने छह माह केवल खानापूर्ति की और वेतन आहरण करते रहे।
डॉ. विनायक मेश्राम : डॉ. विनायक मेश्राम जिला में क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी के रुप में सेवानिवृत्त हुए।अनुभव का लाभ लेने स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें सेक्टर-9 अस्पताल में पदस्थ किया था। सेवाएं देने में उन्होंने भी लापरवाही की। यहीं कारण है कि मामला सार्वजनिक होने पर स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. मेश्राम को भी नोटिस थमाया।
16 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने दोनों डॉक्टरों को नोटिस जारी किया था। इसके बाद डॉ. सुबोध किरोलकर ने संविदा पद से इस्तीफा दे दिया। स्वास्थ्य विभाग ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। अधिकारियों का कहना है कि जवाब प्रस्तुत होने पर कमेटी जांच करेगी। इसके बाद ही इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा।
सीएचएमओ डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर का कहना है कि हमने दोनों ही डॉक्टर को १६ अप्रैल को नोटिस जारी किया था। निर्धारित समय में जवाब नहीं देने पर संस्मरण पत्र जारी किया है। इसके बाद भी अगर जवाब नहीं दिया तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।