इसमें तितुरडीह तालाब के पास हड्डी गोदाम में भवन निर्माण के लिए 3 लाख, कातुलबोर्ड तालाब में पचरीकरण के लिए 5 लाख व बोरसीभाठा वार्ड 50 में गौरा-चौरा मंच निर्माण के लिए 2 लाख शामिल हैं। वोरा ने कहा है कि इससे पहले भी करोड़ों रुपएके
काम उन्होंने स्वीकृत कराए हैं, लेकिन निगम प्रशासन इसको लेकर गंभीर नही है। जनहित के कामों में लेटलतीफी की
जा रही है।
4 साल में करोड़ों के काम का दावा
विधायक अरुण वोरा ने दावा किया है कि विगत चार सालों के दौरान सांसद व विधायक निधि से शहर में करोड़ों के काम कराए हैं। इनमें सामाजिक भवन, गौरा-चौरा मंच, धमधा नाका ओवरब्रिज के नीचे नई गंजमंडी तक विद्युत व्यवस्था के लिए ट्यूबलर पोल व सैकड़ों हेंडपंप खनन शामिल हैं। महापौर चंद्रिका ने बताया कि निगम के पास केवल सांसद व विधायक निधि का काम नहीं है। काम आवश्यकता व प्राथमिकता के आधार पर बिना भेदभाव कराए जाते हैं।
कार्य ज्यादा होने पर हम पहले ही अन्य एजेंसियों का प्रस्ताव रख चुके हैं। विधायक अन्य एजेंसी से काम चाहते हैं तो वे स्वतंत्र हैं। इसमें कोई भी आपत्तिजनक बात नहीं है। विधायक अरूण वोरा ने बताया कि निगम में निर्माण व विकास के कार्यों की लेटलतीफी बेहद आम बात है। सांसद व विधायक निधि के कईकार्य स्वीकृति के बाद भी अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं अथवा अधूरे हैं। इसलिए कलक्टर को पत्र लिखकर नए कार्यों के लिए निगम को एजेंसी नहीं बनाने का आग्रह किया गया है।