मुख्यमंत्री सहायता कोष से जीवनदीप समिति, उतई को एक बार दस लाख और दूसरे बार पांच लाख दिया गया। इसी तरह से जीवनदीप समिति, सिविल अस्पताल सुपेला को दस लाख रुपए दिए गए थे। जीवनदीप समिति, पाटन को एक बार तीन लाख और दूसरी बार 15 लाख रुपए दिए गए थे। इस रकम का उपयोग नोवेल कोरोना वायरस के रोकथाम में किया जाना था।
मुख्यमंत्री सहायता कोष के रकम को कहां खर्च किए, उसके उपयोगिता का प्रमाण पत्र एकत्र किया जा रहा है। इसके लिए विभाग के जिम्मेदारों से जहां से दवा पर्चेस किए गए वहां से संबंधित बिल लाने के लिए कहा जा रहा है। जिससे उसका प्रमाण भी पेश किया जा सके। कोरोना महामारी के समय कोरोना दवा का किट स्वास्थ्य विभाग, दुर्ग से उपलब्ध करवाया जा रहा था। इसके अलावा वाहनों को काम पर लगाने के लिए जो टेंडर निकाला गया, उसमें कौन एल-1 आया, उससे संंबंधित जानकारी भी दी जानी है।
कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिले रकम को प्रभारियों ने ऑक्सीजन रिफलिंग, कर्मियों के मानदेय, दवाई खरीदी, मास्क, सर्जिकल ग्लब्स, पीपीई किट, वाहनों पर खर्च किया है। इससे संबंधित दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। जिसे कलेक्टर के समझ जल्द पेश कर दिया जाएगा।
सविल अस्पताल सुपेला प्रभारी डॉ. पीयाम सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री सहायता कोष से दवाइयां, सर्जिकल ग्लब्स खरीदा गया। कर्मियों को मानदेय दिए गए। वाहन किराए पर लिए थे। कोरोना महामारी के वक्त जहां-जहां राशि खर्च हुई है, उससे संबंधित जानकारी भेजी जा रही है।