फॉर्म के मैनेजर राकेश धनकर बताते हैं सीजन में हर दिन 10 टन सीता फल निकलता है। सीता फल पकने पर इसका पल्प निकाल लेते हैं, जो आइसक्रीम आदि बनाने में काम आती है। यहां बाला नगर प्रजाति के सीता फल की खेती होती है जो सर्वश्रेष्ठ प्रजाति माना जाता है। उन्होंने बताया आर्गेनिक और उच्च गुणवत्ता की होने के कारण पतंजलि ने सीता फल खरीदने की इच्छा जताई है। पतंजलि पैकेज्ड फूड के रूप में इस सीता फल को मार्केट में उतारने की इच्छुक है। पिछले दिनों पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने इसके लिए संपर्क किया था।
फार्म में 110 गीर प्रजाति की गाय पाली गई हैं। इनके चारे के लिए 40 एकड़ में गन्ना, मक्का और नैपियर घास लगाई गई है। मैनेजर राकेश धनकर ने बताया कि 1 गिर गाय से निकले गोबर से 10 एकड़ में जैविक खेती की जा सकती है। यहां आर्गेनिक खाद, कीटनाशक बनाने के लिए यूनिट तैयार की गई है। इससे इजरायल की पद्धति से आर्गेनिक खाद 500 एकड़ तक फैले खेत में पहुंचाया जाता है।
फॉर्म में पानी की सतत सप्लाई रहे, इसके लिए लगभग 10 एकड़ में 2 तालाब बनाया गया है। यह वाटर हार्वेस्टिंग का भी शानदार मॉडल साबित हुआ और नजदीक के गांवों में इससे जलस्तर काफी बढ़ गया। इसके पास की अधिकतर भाठा जमीन है। धनकर ने बताया कि फॉर्म की ओर से आसपास के किसानों को भी आर्गेनिक और आधुनिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कोरोना के कारण लॉकडाउन का असर फॉर्म पर भी पड़ा। धनकर ने बताया कि ट्रांसपोर्टिंग बंद होने के कारण फलों की सप्लाई संभव नहीं हुआ। इस कारण 200 रुपए किलो में बिकने वाले थाई अमरूद गायों को खिलानी पड़ी। इससे काफी नुकसान भी हुआ, लेकिन अब सब कुछ ठीक हो चुका है। यहां ड्रैगन फू्रट और स्वीट लेमन जैसे एन्टी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर फलों का भी उत्पादन हो रहा है।