अब तक साइबर ठग लिंक पर क्लिक करवाकर बैंक खाता ही खाली करते थे। लेकिन, अब उन्होंने नया पैंतरा अपनाया है। इसमें लिंक पर क्लिक करवाकर साइबर ठग सीधा मोबाइल ही हैक कर लेते हैं। इसके बाद वह ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में लिंक पर क्लिक करने वाला कॉलर ही अपराधी साबित हो रहे हैं। पुलिस जांच में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कई निर्दोष लोगों द्वारा मोबाइल हैक के बाद उनके ही मोबाइल से कई ठगी की वारदातें हो गई।
सरकारी योजनाओं की देते हैं जानकारी
बदमाश तरह-तरह से उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर प्राप्त कर व्हाट्सएप पर सरकारी योजनाओं तथा कम समय में अधिक रुपए कमाने का लिंक भेजते है। उपभोक्ता सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी जुटाने, तो कई बार अधिक रुपए कमाने के फिराक में लिंक पर क्लिक कर देता है। क्लिक करने पर एक ऑनलाइन फार्म आता है। इस फार्म के भरने पर उसमें मोबाइल नंबर अंकित करने को कहा जाता है। उपभोक्ता की ओर से मोबाइल नंबर दर्ज करते ही ओटीपी दी जाती है। यह ओटीपी दर्ज करते ही उपभोक्ता का मोबाइल हैक हो जाता है और दो से तीन दिन तक मोबाइल की कोई भी सोशल साइट या एप्प नहीं चल पाती है। दो से तीन बाद वापस मोबाइल में सोशल मीडिया एप्प शुरू होती है। लेकिन, कई बार उपभोक्ता सर्वर दिक्कत या मोबाइल खराबी आदि को देख अनजान बन जाता है। जबकि, यह मोबाइल हैकर का कमाल होता है।
धंबोला में सामने आया था मामला
पुलिस के अनुसार जिले में भी इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। जिले के धंबोला थाना क्षेत्र में सबसे अधिक लोग इस वारदात के शिकार हुए हैं। इसमें से कुछ दिनों पहले पुलिस ने दस लोगों को गिरतार व दो बाल अपचारी को डिटेन भी किया था।
मोबाइल पर आया था मैसेज
जिले के धंबोला थाना क्षेत्र के एक युवक को दो से तीन माह पहले व्हाट्सएप्प पर एक सरकारी योजना के तहत 50 हजार रुपए सहायता राशि मिलने का मैसेज आया। युवक ने मैसेज के साथ दिए लिंक पर क्लिक किया। इस पर एक फार्म खुला। उसने फार्म भरा और मोबाइल नंबर अंकित किया। इस पर मोबाइल पर एक ओटीपी आया। फार्म में ओटीपी अंकित करने के बाद उसका व्हाट्सएप्प हैक हो गया और दो दिन तक बंद रहा। तीसरेे दिन बाद स्वस्फूर्त व्हाट्सएप्प वापस शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद उसके पास पुलिस आई और उसको ठगी करने के मामले में गिरतार कर लिया। जबकि, उसे इसकी जानकारी ही नहीं थी।
यूं देते हैं अंजाम
बदमाश मोबाइल को हैक करने बाद उसके नंबर से अन्य राज्य के लोगों से कॉल कर अथवा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्य से ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं। इस दौरान ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति मोबाइल नंबर के आधार पर संबंधित पुलिस थाने में मामला दर्ज होता है, तब हैकर की ओर से हैक किए गए मोबाइल नंबर के आधार पर निर्दोष व्यक्तियों को भी पुलिस थाने के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
इनका कहना है
साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस की ओर से जिले भर में जनजागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। लालच में आकर क्लिक नहीं करे। अधिकृत विभागीय वेबसाइट पर ही जानकारी जुटाए। मोनिका सेन पुलिस अधीक्षक डूंगरपुर