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यह मामला झारखंड के गढ़वा जिले का है। मिली जानकारी के अनुसार यशोदा देवी 25 साल पहले अपने पति नरेश साह के साथ केतार थाना क्षेत्र के जोगियाबीर गांव में रहती थीं। उस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। यशोदा के छह लड़के थे। इसी बीच उसकी मुलाकात छाताकुंड निवासी विश्वनाथ साह से हुई। दोनों प्रेम के बंधन में बंध गए। प्यार के भंवर में फंसी यशोदा अपनी परिवार को छोड़ प्रेमी विश्वनाथ के साथ चली गईं। दोनों छत्तीसगढ़ के सीतापुर में रहने लगे।
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इस घटना के 25 साल बाद यशोदा और विश्वनाथ के जीवन में ऐसा मोड़ आया जिसने सब कुछ बदलकर रख दिया। 15 दिन पहले विश्वनाथ की मौत हो गई। इसके बाद यशोदा अकेली पड़ गईं। विश्वनाथ के परिजनों ने भी उसका साथ नहीं दिया और अपनाने से ही इंकार कर दिया। थक हार कर यशोदा ने दोबारा अपने पति के घर लौटने का मन बनाया।
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रविवार रात वह जोगियाबीर पहुंची। घर के सभी सदस्य उसे देखकर भौंचक्के रह गए। क्योंकि इन 30 सालों में सब कुछ बदल चुका था। यशोदा के लड़कों की शादी हो चुकी थीं, पोते—पोतियों से भरा पूरा परिवार था। किसी को उसके वापस आने की आशा नहीं थी। सभी ने उसे अपनाने से मना कर दिया। यशोदा यहीं रहने की जिद पर अड़ी रहीं। उसे रात घर के बाहर गुजारनी पड़ी। सुबह होने पर गांव वालों ने मामले में हस्तक्षेप किया। इस पर यशोदा ने दूर रहकर भी अपने बच्चों की आर्थिक मदद करने की बात का हवाला दिया जिसे उसके बच्चों ने स्वीकार भी किया। गांव वालों की समझाइश के बाद परिजनों का दिल पसीज गया। उन्होंने यशोदा को अपना लिया। पति नरेश साह ने भी सभी गलतियों को नजरअंदाज कर उसका घर में स्वागत किया। यशोदा जब घर में घुसी तो भरा पूरा परिवार देखकर भाव विभोर हो गई। जिसने भी यह दृश्य देखा वह अपने आंसू रोक नहीं पाया।