लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के वैज्ञानिकों का शोध ‘नेचर, इकोलॉजी एंड इवॉल्यूशन’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया कि वायरसों का रास्ता एकतरफा नहीं, दोतरफा है। यानी अगर जानवरों के वायरस इंसानों को बीमार करते हैं तो इसके मुकाबले इंसानों के दोगुना वायरस जानवरों के लिए खतरा बनते हैं। वैज्ञानिकों ने 1.20 करोड़ वायरस जीनोम के डेटा का विश्लेषण किया। पता चला कि 3000 मामलों में वायरस एक प्रजाति के जीव से दूसरी प्रजाति के जीव में जाते हैं। इनमें कई वायरस एक जानवर की प्रजाति से दूसरी जानवर की प्रजाति में भी जाते हैं।
साथ रहने वालों पर सबसे ज्यादा असर इंसानों से जानवरों में वायरस के ट्रांसमिशन को एंथ्रोपोनोसिस, जबकि जानवरों से इंसानों में ट्रांसमिशन को जूनोसिस कहा जाता है। शोध के मुताबिक इंसानों के साथ रहने वाले जानवर एंथ्रोपोनोसिस का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इनमें घरेलू श्वान, बिल्लियां, घोड़े और मवेशी शामिल हैं। इसके अलावा मुर्गियां, बत्तख, चिम्पैंजी, गोरिल्ला, चूहे आदि भी इंसानों के वायरस से संक्रमित होते हैं।
पक्षी और मछलियां भी चपेट में शोध पेपर के लेखक सेड्रिक टैन का कहना है कि अगर इंसानों को चिम्पैंजी से एड्स और चमगादड़ से कोविड-19 का वायरस मिला तो इंसानों के वायरस से जानवर भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। जब भी कोई वायरस एक जीव से दूसरे जीव में जाता है, वह अपने टारगेट के हिसाब से खुद को ढाल चुका होता है। पक्षी और मछलियां भी इंसानों के वायरस की चपेट में आ जाते हैं।