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रोग और उपचार

रंगों के साथ सेहत-सुरक्षा का रखें विशेष ध्यान

होली पर कैमिकल्स युक्त रंगों का इस्तेमाल न करने की कितनी भी हिदायत दे दी जाए लेकिन कुछ लोग पूरी तरह लापरवाही बरतते हैं

Feb 27, 2018 / 05:21 am

शंकर शर्मा

colours

होली पर कैमिकल्स युक्त रंगों का इस्तेमाल न करने की कितनी भी हिदायत दे दी जाए लेकिन कुछ लोग पूरी तरह लापरवाही बरतते हैं और जमकर इन हानिकारक रंगों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में पहले से ही सुरक्षा बरतकर इन रंगों के साइड इफेक्ट्स से बच सकते हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही उपायों का जिक्र कर रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप सुरक्षित होली का मजा ले सकते हैं।

हाइड्रेंट रहें
धूप में रंग खेलते-खेलते हमारे त्वचा की नमी कम होने लगती है। साथ ही इस दौरान हम पानी भी नहीं पीते हैं जिससे डीहाइडे्रशन होने की आशंका रहती है। ऐसे में जरूरी है कि भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।

रूखी न हो त्वचा
रंग खेलने से पहले ध्यान रखें कि त्वचा रूखी न हो। रूखी त्वचा होने से रंगों में मौजूद कैमिकल्स आसानी से त्वचा में अवशोषित हो जाते हैं। ऐसे में पूरे रंग खेलने से पहले पूरे शरीर पर नारियल, जैतून या सरसों तेल की अच्छी तरह से मालिश करें। सिर पर भी स्कैल्प और बाल में भी सरसों या नारियल तेल लगाएं। शरीर पर सनस्क्रीन भी लगाएं ताकि टैनिंग से बचाव हो सके। जेल बेस्ड वाटरप्रूफ सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें जिसका एसपीएफ 26 हो।

फस्र्ट एड किट साथ रखें
रंग खेलते वक्त कई बार चोट भी लग जाती है। ऐसे में फस्र्ट एड बॉक्स अपने साथ रखें। किसी तरह का कट लगने, खून निकलने पर उसे तुरंत पानी के नीचे रखें और उस पर बर्फ लगाएं। एंटीबैक्टीरियल लोशन से चोट को साफ करें और जरूरी हो तो टेटनस का इंजेक्शन लें।

ऐसे नरम रहेंगे होंठ
लिप बाम की मोटी परत लगएं या मक्खन या अनार का रस लगा सकते हैं। टॉक्सिक रंगों से होठों को बचाने के लिए दोनों ही विकल्प लाभकारी होते हैं। यह होठों के क्रैक्स में रंग भरने से रोकते हैं साथ ही उन्हें नैरिश भी करते हैं।

इन रंगों से बच कर रहना

लाल रंग: इसमें मर्करी सल्फाइट होता है जो स्किन कैंसर, मेंटल डिसऑर्डर और विजन से संबंधित बीमारी का कारण होता है।
हरा रंग: कॉपर सल्फेट की वजह से एलर्जी और अंधापन जैसी समस्या होने की आशंका रहती है।
चमकदार रंग: ऐसे रंगों में शीशा का चूर्ण मिलाया जाता है जो त्वचा पर रैशेज, जलन आदि बीमारियों का कारण हो सकते हैं।
बैंगनी रंग: क्रोमियम आयोडाइड से बनने वाले इस रंग से ब्रोंकियल अस्थमा या विभिन्न तरह की एलर्जी हो सकती है।
सिल्वर रंग: इस रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो कैंसर का कारक होता है।
काला रंग: लेड ऑक्साइड की वजह से इस रंग का असर मस्तिष्क पर पड़ता है।

बच्चों के लिए खास टिप्स
बच्चों में इम्यूनिटी कम होती है जिससे वे बड़ी आसानी से सर्दी, जुकाम, बुखार की चपेट में आ जाते हैं। होली के दौरान भी बच्चे काफी बीमार पड़ते हैं। कभी रंगों की एलर्जी से तो कभी ज्यादा देर तक पानी में खेलने से। इसके लिए जरूरी है कि होली खेलने से पहले बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने पर थोड़ा काम किया जाए। इसके लिए उन्हें शहद में सितोपलादी चूर्ण मिलाकर खिला सकते हैं। इसके अलावा शहद, अदरक और दालचीनी भी मिलाकर चटाने से इम्यूनिटी बढ़ती है और प्राकृतिक तौर पर कैल्शियम होने से हड्डियां भी मजबूत होती हैं। इन उपाय से खांसी, सर्दी और फ्लू आदि से बचाव भी होता है। होली खेलने से कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक बच्चों को यह दिया जा सकता है। बच्चों को गर्म तासीर वाली चीजें जैसे नट्स, बादाम दूध, हल्दी दूध आदि दें।

पहले लगा लें नेलपेंट
नाखूनों में रंग जाने से बचाने के लिए नेलपेंट की डार्क कोटिंग कर लें। इससे नाखून पर रंग नहीं चढ़ेगा और बाद में रिमूवर से नेल पेंट हटाया जा सकता है।

आंखों को करें कवर
रंगों से बचाने के लिए चश्मा या सनग्लासेज पहन सकते हैं। अगर आप लेंस लगाते हैं तो रंग खेलने से पहले लेंसेज निकाल लें। इसी अगर आंखों में रंग चला जाए तो तुरंत ठंडे और साफ पानी से आंख साफ करें और किसी तरह की चुभन या जलन होने पर बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

घातक हो सकते हैं रंग
नई दिल्ली के एक ऑप्थैल्मिक साइंस सेंटर में हाल ही हुई एक रिसर्च के अनुसार इन दिनों होली के रंगों में घातक कैमिकल्स जैसे लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट, मर्करी सल्फाइट आदि पाए जाते हैं। ये सभी तत्व त्वचा, आंखों या सांस मार्ग के जरिए शरीर में पहुंच कर जटिलताएं पैदा करता है। स्टडी में 13 ऐसे पेशेंट्स को शामिल किया गया था, जो होली खेलने के बाद से ही आंखों में दर्द, जलन, चुभन आदि की शिकायत कर रहे थे। जांच के बाद सभी पेशेंट्स में आंखों की कुछ ऐसी बीमारी का पता चला जिसकी मुख्य वजह रंगों में इस्तेमाल किए गए कैमिकल्स थे। कैमिकल्स के कुछ ऐसे कण आंखों में पाए गए जिन्हें तुरंत न हटाए जाने पर कॉर्निया तक डैमेज हो सकता था। 13 में से कुछ पेशेंट्स की आंखें तो दो सप्ताह में ठीक हो गईं लेकिन कुछ पेशेंट्स को ठीक होने में तीन महीने तक का वक्त लग गया।

प्राकृतिक तरीकों से छुड़ाएं रंग त्वचा पर लगाएं
नींबू का रस, दही या चंदन का पेस्ट सीधा त्वचा पर लगाया जा सकता है। हल्दी और बेसन का लेप लगाकर भी रंग छुड़ाया जा सकता है। 10 मिनट तक इस लेप को छोडऩे के बाद पानी या कच्चे दूध से भी इसे धोया जा सकता है।

सैंधा नमक
यह शरीर से टॉक्सिन्स निकालने में मददगार होता है। इसे प्राकृतिक तेल जैसे ऑलिव, रोज या लेवेंडर के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है। रंग निकालने से पहले शरीर के उस भाग को गीला कर लें और सेंधा नमक व तेल के मिक्सचर से अच्छी तरह स्क्रब करें और पानी से धो दें।

जब डीहाइड्रेटेड और सेंसिटिव हो स्किन
रंग खेलते खेलते हम पानी पीना भूल जाते हैं और काफी देर तक यूं ही घूमते रहते हैं। ऐसे में रंग और पानी की कमी से त्वचा सूखने लगती है। ऐसी स्थिति में एक कप बादाम का पेस्ट, एक कप ओटमील, 4 चम्मच शहद और एक कप ठंडा दूध मिलाकर इसमें 4 चम्मच एलोवेरा जेल और 4 चम्मच पुदीना का पेस्ट मिलाएं। इसे त्वचा पर लगाएं और 10 मिनट के लिए छोड़ दें। अब इसे बिना स्क्रब किए सीधा पानी से धो दें।

सनबर्न हो जाए तब
रंग खेलते-खेलते जब काफी देर तक धूप में रहते हैं तो सनबर्न हो जाता है। इससे बचने के लिए आधा कप नीम का पेस्ट, एक चम्मच शहद, एक नींबू का रस, दो चम्मच घी और दो चम्मच तिल का तेल मिलाकर मास्क बना लें। नहाते वक्त इस मास्क को पूरी त्वचा पर लगाएं और थोड़ी देर छोड़ दें। 10 मिनट के बाद इसे पानी से अच्छी तरह धो लें।

त्वचा की पोषण के लिए
आधा कप बादाम का तेल, दो मु_ी गुलाब की पंखुडिय़ां, एक किलो उबला हुआ फुल क्रीम दूध, 10 मिली जैसमीन का तेल और आधा कप ओटमील। इसे गुनगुने पानी से भरे बाथ टब में डालें और आधा घंटा उसमें बैठ जाएं। इसके बाद साफ पानी से नहाएं और मॉइश्चराइजर लगाएं। इससे रंगों की वजह से त्वचा से खोया हुआ पोषण वापस मिल जाता है।

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