असल में रुबेला एक तरह का खसरा होता है, क्योंकि ये रुबेला वायरस से होता है इसलिए इसका नाम रुबेला है। इस वायस के चपेट में के बाद फ्लू और शरीर में चकत्ते उभरने की समस्या होती है। ये बीमारी 3-5 दिनों तक रहती है। ये एक से दूसरे में फैल सकती है।
2. बीमारी बढ़ने के साथ दिखते हैं ये लक्षण
3. बुखार के साथ सिर में तेज दर्द
4. आंख के सफेदी वाले हिस्से में रेडनेस आना या सूजन
5. इस वायरस अटैक में भी लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं
6. लगतार आने वाली खांसी
7. नाक का बहना।
रूबेला एक हल्का संक्रमण है और ये बेहद गंभीर नहीं होता, इसलिए लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जाता है। अगर बीमारी ठीक होने के बाद भी उंगलियों, कलाई और घुटनों या अन्य जोड़ों में दर्द हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। ये रुबेला का लांग सिम्पटम होता है। कई बार ये वायरस कान में संक्रमण या मस्तिष्क की सूजन का कारण बन सकता है। गर्भवती से भ्रूण में भी ये वायरस जा सकता है।
रूबेला वायरस का टीका उपलब्ध है। एमएमआर टीके नाम से भी इसे जाना जाता है। बच्चों को 12 से 15 महीने की उम्र के बीच और फिर 4 से 6 साल की उम्र के बीच शॉट लेने की सलाह दी जाती है। एमएमआर वैक्सीन लोगों को जीवन भर रूबेला रोग से बचाने में सक्षम है।