मोटापा और मधुमेह: दिल की बीमारियों का नया खतरा Obesity and diabetes: New risk factors for heart disease
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हार्ट फेलियर (Heart failure) विद प्रिजर्व्ड इंजेक्शन फ्रैक्शन (एचएफपीईएफ) पर मोटापे के प्रभावों का अध्ययन किया है। एचएफपीईएफ एक ऐसी स्थिति है जहां हृदय सामान्य तरीके से रिलैक्स नहीं कर पाता और रक्त की उचित मात्रा को नहीं संभाल पाता। शोध में पाया गया कि दुनिया भर में हार्ट फेलियर (Heart failure) के आधे से ज्यादा मामलों के लिए एचएफपीईएफ जिम्मेदार है, और अस्पताल में भर्ती होने और मौत की दर भी इनमें ज्यादा है (5 साल में 30-40 प्रतिशत)।
मोटापे के असर का अध्ययन: क्या कहते हैं वैज्ञानिक? Study of the effects of obesity: What do the scientists say?
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मोटापे और मधुमेह (Obesity and Diabetes) से प्रभावित मरीजों के दिल की मांसपेशी कोशिकाओं का विश्लेषण किया। उन्होंने 25 रोगियों के कोशिका टुकड़ों की तुलना 14 ऑर्गन डोनर के दिल की कोशिकाओं से की, जिनके दिल की स्थिति सामान्य थी। एचएफपीईएफ से पीड़ित मोटे मरीजों में अल्ट्रास्ट्रक्चरल असामान्यताएं देखी गईं। उनके माइटोकॉन्ड्रिया सूजे हुए और पीले थे, वसा की बूंदें अधिक थीं, और मांसपेशी फाइबर फटे हुए थे।मोटापा कम करना: क्या होगा फर्क? Losing weight: What will make the difference?
प्रोफेसर डेविड कास ने इस शोध पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह खोज एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है – क्या मोटापा कम करने से एचएफपीईएफ की स्थिति में सुधार होगा? शोधकर्ताओं का मानना है कि मोटापा और मधुमेह के अंतर्निहित कारणों को समझना और उनका समाधान ढूंढना आवश्यक है ताकि हृदय की बीमारियों के मामलों को कम किया जा सके। इस शोध ने यह साबित कर दिया है कि मोटापा और मधुमेह हृदय संबंधी समस्याओं के मुख्य कारण बन चुके हैं। इसलिए, अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहना और जीवनशैली में सुधार लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोटापा कम करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से एचएफपीईएफ जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है और हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है।