यह है समस्या –
नाक से खून आने यानी नकसीर की समस्या को डॉक्टरी भाषा में एपिसटैक्सिस कहते हैं। नाक के पास एक खास जगह होती है जिसमें ब्लड सप्लाई ज्यादा रहती है। इस हिस्से में जब लोकल इंजरी यानी किसी कारण चोट लग जाए, ट्रॉमा (नाक साफ करते समय नाखून लगना), ब्लड प्रेशर अत्यधिक होने से यहां की रक्तनलिकाएं खुल जाती हैं जिससे ब्लीडिंग होने लगती है। कई बार क्रॉनिक साइनुसाइटिस के कारण भी व्यक्ति को नकसीर आ सकती है। इसमें अंदरुनी रूप से कोई दिक्कत नहीं होती है, यह बाहरी रूप से होने वाली समस्या है। लंबे समय तक जिन्हें जुकाम रहता है उनमें अक्सर नकसीर आ जाती है जो क्रॉनिक नकसीर कहलाती है। वहीं कभी-कभार या अचानक आने वाली नकसीर, एक्यूट कहलाती है।
इनको ज्यादा खतरा-
सामान्य संक्रमण, बार-बार अंगुली डालकर नाक साफ करने, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर बढ़ने या रक्त पतला करने वाली दवाएं लेने वाले रोगी को नकसीर की आशंका ज्यादा रहती है। कई मामलों में आईटीपी (इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा) में प्लेटलेट्स घटने और ब्लड कैंसर आदि रोग में भी यह समस्या लक्षण के रूप में हो सकती है। ऐसा कुछ ही मामलों में होता है। हिमोफीलिया ए व बी बीमारी में रक्त सही से जम नहीं पाता है। महिलाओं की तुलना में यह समस्या पुरुषों में ज्यादा होती है। ऐसे में नाक में हल्की चोट लगने से भी ब्लीडिंग हो जाती है।
समस्या – आमतौर पर नकसीर आने पर मरीज को लेटा देते हैं ताकि ब्लड रुक जाए। लेकिन ऐसा करने से रक्त गले में पीछे की तरफ यानी भोजन नली में जाकर परेशानी की वजह बनता है। ब्लड पेट में जाने पर मरीज को उल्टी होने की आशंका रहती है। इस स्थिति में जब खून की उल्टी होती है तो उसे किसी गंभीर बीमारी का भ्रम हो जाता है।
समस्या होने पर तुरंत ये करें-
लेटाने की बजाय रोगी बैठकर नाक के ऊपरी भाग को कुछ समय के लिए अंगुलियों से हल्का दबाकर रखें। इसमें ट्रेनेमेका ऑइंटमेंट लगाने और कुछ दवा खाने के लिए भी देते हैं। फिर भी ब्लीडिंग नहीं रुकती है तो नेजल पैकिंग करते हैं। इसमें चोट पर बांधने वाली पट्टी को दवा में भिगोकर नाक के दोनों छेदों में डालकर पैक कर देते हैं। 2-3 दिन बाद इसे हटा देते हैं।
इलाज –
समस्या का इलाज इसके कारण को जानने पर निर्भर करता है। जैसे हाई ब्लड प्रेशर की वजह से यदि नकसीर आई है तो दवाओं से बीपी कंट्रोल करते हैं। किसी चोट या नाखून से नाक में खरोंच आने से यदि नकसीर आई है तो नेजल पैकिंग करते हैं। तुरंत इलाज के रूप में ऑइंटमेंट लगाने के लिए देते हैं। ये हीमोकोल्गुलेट किस्म की दवा होती हैं जो ब्लड क्लॉट बनाने में मददगार होती है। सिर पर ठंडा पानी डालने से भी रक्तप्रवाह तुरंत रुक जाता है।
आयुर्वेद में इलाज – आयुर्वेद इसे पित्त बढ़ने से जुड़ी दिक्कत मानता है। रोगी को दही, बैंगन, शिमला मिर्च, चाय-कॉफी और अधिक मिर्चमसालेदार चीजों से परहेज करना चाहिए। दूब का रस निकालकर नाक में 1-2 बूंद टपकाने से भी राहत मिलती है। 7-8 दिन चिकनी मिट्टी का लेप नाभि के नीचे वाले भाग पर करें। 20-25 मिनट इसे लगाने के बाद इस मिट्टी को दोबारा प्रयोग में न लें। इससे ठंडक मिलेगी। गुलाब की पंखुड़ियां धागा मिश्री संग दोपहर के समय लें। खसखस, चंदन व गुलाब का शरबत पीएं।
होम्योपैथी ट्रीटमेंट- कारण के अनुसार दवा देते हैं। पुराने जुकाम में नाक में सूखी पपड़ी हटने से नकसीर आना व साथ ही दर्द व जलन होने पर सल्फर दवा देते हैं। थकान, सिरदर्द के साथ नकसीर आने पर नेट्रम नाईट्रिकम देते हैं। अपने मन से दवा न लें।