ल्यूकोरिया में वजाइना से सफेद पदार्थ निकलता है। गर्भाशय की अंदरूनी झिल्ली में सूजन आ जाती है। इसकी तीन अवस्थाएं हैं।
1. प्रसव के बाद श्वेतस्त्राव होना, ऑव्युलेशन क्रिया है।
2. गर्भावस्था के पहले माह में श्वेतस्त्राव गर्भावस्था की पहचान है।
3. प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन रिलीज होने पर माहवारी के 14 दिन बाद श्वेतस्त्राव।
परेशानी –
एनीमिया, कमजोर याद्दाश्त, बेचैनी, घबराहट, जोड़दर्द, चेहरे पर पीलापन, अपच व पीठदर्द होता है।
सतर्कता –
कभी-कभार श्वेतस्त्राव के साथ खुजली सामान्य है। लेकिन यदि साथ में दुर्गन्ध, प्रभावित हिस्से के आसपास अत्यधिक खुजली व बदनदर्द हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाएं वर्ना संक्रमण हो सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार –
ल्यूकोल व चंद्रप्रभाति की 2-2 गोली सुबह-शाम व सूजन दूर करने के लिए पुनर्नवा मंडूर दवा देते हैं। पत्र्रांगासव और पिप्पलासव की 3-3 चम्मच को भोजन के बाद लें। एक गिलास में तीन चम्मच के बराबर पानी मिलाएं।
हल्दी वाला दूध पीएं, इम्युनिटी बढ़ने के साथ सूजन दूर होगी।
रोहितक मूल का क्वाथ पानी के साथ सुबह-शाम लें।
ध्यान रखें –
परवल, आंवला, भिंडी, टमाटर, खीरा खाएं। दूध व दूध से बनी चीजें लें। सेब, पपीता, नारियल पानी, अनार जैसे फल खाएं, पोषक तत्त्वों की कमी पूरी होगी। प्रोसेस्ड व रिफाइंड फूड, मैदा, कॉफी, चाय, अंडा, मसालेदार व तला-भुना भोजन न लें। हाइजीन का ध्यान रखें।