इन लक्षणों से पहचानें –
घबराहट के साथ दिल का तेजी से धड़कना, जल्दी-जल्दी सांसें चलना, घुटन महसूस होना, कंपकपी और पसीना आना, सीने में दर्द, बेचैनी, जी मिचलाना और पेट में दर्द, चक्कर आना, नियंत्रण खोने और मृत्यु का डर होना आदि लक्षण हो सकते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि ‘पैनिक अटैक’ के मरीजों को दिल का दौरा या ब्रेन स्ट्रोक की आशंका अधिक रहती है।
कारण –
तनाव, हृदय रोग, अस्थमा, सांस संबंधी बीमारी, हार्मोन में गड़बड़ी और कुछ दवाइयों का साइड इफेक्ट भी है कारण।
किसे अधिक खतरा –
तनावग्रस्त लोगों में इस बीमारी के होने की आशंका अधिक रहती है। तलाक, नौकरी छूटने या किसी नजदीकी की मृत्यु होने पर भी यह हो सकता है। लंबे समय से गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीज और युवाओं में ब्रेकअप के बाद इस तरह की समस्या देखने को मिलती है। किसी मानसिक आघात से गुजरे लोगों में इसकी आशंका रहती है।
कैसे करें बचाव –
अटैक होने पर मरीज को शांत रखें। पीड़ित की समस्या सुनकर समझने का प्रयास करें। मरीज को टहलने या स्टे्रचिंग के लिए कहें। मरीज को नाक से लंबी सांस लेने और मुंह से छोड़ने के लए कहें। भीड़-भाड़ वाली जगह जाने से बचें। खुद पर तनाव को हावी न होने दें। जब भी कोई समस्या हो तो एक गिलास ठंडा पानी पीएं और फिर सोचें। ऐसा क्यों हुआ, उसका कारण खोजें।