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कम उम्र में बढ़ता Heart Disease खतरा, भारतीय महिलाओं के लिए चेतावनी

Heart disease in Indian women : आमतौर पर हृदय रोगों का जोखिम पुरुषों में अधिक देखा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में युवा और रजोनिवृत्त महिलाओं में भी हृदय रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में यह समस्या एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

जयपुरSep 30, 2024 / 10:47 am

Manoj Kumar

Heart disease in Indian women

Heart disease in Indian women

Heart disease in Indian women : आमतौर पर हृदय रोगों का जोखिम पुरुषों में अधिक देखा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में युवा और रजोनिवृत्त महिलाओं में भी हृदय रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में यह समस्या एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

विश्व हृदय दिवस और हृदय रोग का बढ़ता खतरा World Heart Day and the increasing risk of heart disease

हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों को हृदय रोगों (Heart Disease) के खतरों के प्रति जागरूक किया जा सके। इस साल की थीम ‘Use Heart for Action’ है, जिसका उद्देश्य लोगों को हृदय स्वास्थ्य के प्रति सचेत करना है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार, भारत में हृदय रोग (Heart Disease) महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बन रहा है और यह लगभग 17% मौतों के लिए जिम्मेदार है।

रजोनिवृत्ति के पहले महिलाएं क्यों हैं अधिक जोखिम में? Why are premenopausal women at greater risk?

एम्स, नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एस रामकृष्णन के अनुसार, “महिलाओं को आमतौर पर रजोनिवृत्ति तक हृदय रोगों (Heart Disease) से कुछ हद तक सुरक्षा मिलती है, लेकिन अब हम कई युवा और रजोनिवृत्त महिलाओं में हृदय रोग और दिल के दौरे के मामलों को देख रहे हैं।”
इस बढ़ते जोखिम का मुख्य कारण उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और डिसलिपिडेमिया जैसे जोखिम कारकों की अधिकता है।

पीसीओएस और हृदय रोग का संबंध The connection between PCOS and heart disease

महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी एक महत्वपूर्ण समस्या बनकर उभर रही है, जो हृदय रोग (Heart Disease) के जोखिम को बढ़ा सकती है। पीडी हिंदुजा अस्पताल और मेडिकल रिसर्च सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती अधे रोजेकर के अनुसार, “पीसीओएस का सीधा प्रभाव रक्त वाहिकाओं और हृदय पर पड़ता है।”
उन्होंने कहा कि मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और एंड्रोजन्स की अधिकता भी हृदय रोग (Heart Disease) के जोखिम को बढ़ाते हैं। PCOS वाली महिलाएं अक्सर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं, जो डायबिटीज, पेट का मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध जैसे स्वास्थ्य समस्याओं का समूह है।
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हृदय रोग की रोकथाम के लिए नियमित जांच और व्यायाम जरूरी Regular checkup and exercise are essential to prevent heart disease

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूटीन हृदय स्वास्थ्य जांच अत्यंत आवश्यक है ताकि हृदय रोगों का प्रारंभिक स्तर पर पता लगाया जा सके। इसके अलावा, महिलाओं को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और स्वस्थ आहार बनाए रखने की सलाह दी जाती है ताकि वे अन्य जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से बच सकें।

वायु प्रदूषण और हृदय रोग का बढ़ता खतरा Air pollution and increased risk of heart disease

दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती समस्या भी हृदय रोग के मामलों को बढ़ा रही है। डॉ. रामकृष्णन ने बताया कि “वायु प्रदूषण अब धूम्रपान की तरह ही हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।” उन्होंने लोगों को कम से कम सप्ताह में पांच दिन मध्यम एरोबिक व्यायाम करने की सलाह दी है ताकि हृदय स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।

अध्ययन क्या कहते हैं?

यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम 51% तक बढ़ सकता है। वहीं, जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजीज की दर 3% से 13% के बीच पाई गई है और यह पिछले 20 वर्षों में 300% से अधिक बढ़ गई है।
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हृदय रोग अब सिर्फ पुरुषों की समस्या नहीं रह गई है। युवा और रजोनिवृत्त भारतीय महिलाओं में हृदय रोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए, समय रहते इस पर ध्यान देना जरूरी हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, नियमित जांच, शारीरिक सक्रियता और स्वस्थ आहार से हृदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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