खर्राटों की अवधि व प्रक्रिया बढऩे के साथ-साथ जब सांस लेने में अवरोध 10 सेकंड से ज्यादा हो जाता है और हर घंटे सात से अधिक बार सांस रुकती है तब उसे ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (अवरोधक) कहा जाता है। स्लीप एप्निया तीन तरह का होता है-केंद्रीय, अवरोधक और मिश्रित।ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया, अनिद्रा से सम्बन्धित एक गंभीर बीमारी एवं समस्या है।देश में लगभग 1/3 वयस्क आबादी को गहरी नींद नहीं आती।
अनिद्रा संबंधी रोगों के इलाज के लिए ईएनटी विशेषज्ञ से सलाह लें। विशेषज्ञ कान, नाक, गले की जांच करते हैं और रोगी की आयु, लक्षणों को ध्यान में रखते हुए निम्न परीक्षण करवाते हैं।
मरीज को हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है व नींद के दौरान दूरबीन द्वारा तालु, जीभ के पिछले हिस्से, गले की मांसपेशियों व सांस नली के निचले हिस्से की जांच की जाती है कि सांस लेने में कोई अवरोध तो नहीं।
इलाज, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया की गंभीरता पर निर्भर करता है। सर्जिकल उपचार में कागले व तालु (कोमल ऊतक) के उस हिस्से को जिसके कंपन से खर्राटे उत्पन्न होते हैं, संकुचित करदिया जाता है। रेडियोफ्रिक्वेंसी द्वारा तालु में कागले के दोनों तरफ छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इससे ऊत्तकों में सिकुडऩ पैदा होती है व सांस नली चौड़ी होने पर उसका अवरोध दूर हो जाता है। यदि टॉन्सिल बढ़े हुए हो तो उन्हें भी साथ ही निकाल दिया जाता है। अगर रोगी की सांस हर घंटे में केवल 5-15 बार कुछ सेकंड के लिए अवरुद्ध होती है तो उसे वजन कम करने व जीवनशैली को सुधारने की सलाह दी जाती है। जैसे कि नींद की गोलियों व शराब का सेवन न करें, नियमित व्यायाम व सांस संबंधी योगासन करें आदि।
सोने से पहले अवसाद-निरोधक एवं मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा न लें। डिनर सोने से दो से तीन घंटे पहले कर लें। रोजाना एक ही समय पर सोएं। करवट लेकर सोने की कोशिश करें। पलंग का सिर वाला हिस्सा कम से कम चार इंच ऊंचा रखें।