जब ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) शुरू होता है, तो हो सकता है कि कोई लक्षण दिखाई न दें. इसलिए जल्दी पता लगाना बहुत जरूरी है. डॉ. गरिमा साहनी, स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रिस्टीन केयर की सह-संस्थापक कहती हैं कि शुरुआती अवस्था में ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) का पता लगाना अभी भी एक चुनौती है क्योंकि कोई भी पेशाब की जांच नहीं है जो इसे पहचान सके.
वह यह भी बताती हैं कि डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट के साथ-साथ सीए-125 जैसे विशिष्ट प्रोटीनों का विश्लेषण करने वाले रक्त परीक्षणों पर भरोसा करते हैं, जो ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) के मामलों में बढ़ सकते हैं. लेकिन, ये टेस्ट पूरी तरह से सही नहीं होते और शुरुआत में बीमारी का पता नहीं चल पाता.
डॉ. साहनी कहती हैं कि कैंसर के शुरुआती चरणों में स्पष्ट संकेत नहीं देता इसलिए पेट में सूजन, पेलविक दर्द और पेशाब संबंधी आदतों में बदलाव जैसे संभावित लक्षणों के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है.
वह यह भी कहती हैं कि नियमित जांच और डॉक्टरों के साथ खुलकर चर्चा करना ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) के जोखिम कारकों की निगरानी और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है.