सहजन की पत्तियों को लेकर एनसीबीआई की रिपोर्ट NCBI report on Moringa leaves
एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सहजन की पत्तियां (moringa leaves) विटामिन (ए, सी और ई), खनिज (कैल्शियम, पोटेशियम और आयरन) और आवश्यक अमीनो एसिड्स का एक समृद्ध स्रोत हैं। सहजन में क्वेरसेटिन, क्लोरोजेनिक एसिड और बीटा-कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है। इन विशेषताओं के कारण, सहजन की पत्तियों का सेवन करने से उम्र से संबंधित छह बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।इन बीमारियों में करें सहजन की पत्तियों सेवन Consume Moringa leaves in these diseases
फैटी लिवर और ब्लड प्रेशर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सहजन की पत्तियों (moringa leaves)का सेवन नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इनमें उपस्थित पोषक तत्व लिवर की सूजन को घटाने में सहायक होते हैं। सहजन की पत्तियों का नियमित सेवन लिवर को नुकसान से बचाने में मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा, सहजन की पत्तियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट क्वेरसेटिन रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है। ब्लड शुगर और डायबिटीज सहजन की पत्तियों में मौजूद प्राकृतिक प्रदार्थ इंसुलिन की तरह काम करता है जिससे हमारा ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। इसके अतिरिक्त, सहजन में पाए जाने वाले फाइबर रक्त में शुगर के अवशोषण की गति को कम कर देते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा घटता है।
कोलेस्ट्रॉल और पाचन सहजन में मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे खून में बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल के लेवल को कम कर देते है जिससे ब्लॉकेज से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
वजन नियंत्रण के साथ भूख पर काबू सहजन की पत्तियों में फाइबर मौजूद होता है जो हमारी पाचन क्रिया को सही करने में सहायक माना जाता है। सहजन की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जिसके कारण पाचन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। सहजन में मौजूद फाइबर और प्रोटीन के कारण भूख को नियंत्रित करने में आसानी होती है। सहजन में क्लोरोफिल होता है जिस शरीर के वजन को कम करने में सहायक माना जाता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।