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शरीर को डस्टबिन मत बनाइए, इन संकेतों से पहचानें कि आपको डिटॉक्स की जरूरत है

हम चाहें तो शरीर के कुछ संकेतों को समझ सकते हैं जो कहते हैं कि बस करो, मेरे अंदर विषैली गंदगी या कचरा जमा हो रहा है। शरीर से ऐसी जहर समान विषैली गंदगी को निकालना डिटॉक्सिफिकेशन कहलाता है।

Nov 11, 2023 / 04:22 pm

Manoj Kumar

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Body signals when something is wrong : कुछ भी गड़बड़ होने की स्थिति में शरीर इशारे देने लगता है, बस हमें जरूरत है इन इशारों को पहचानने की।

हम चाहें तो शरीर के कुछ संकेतों को समझ सकते हैं जो कहते हैं कि बस करो, मेरे अंदर विषैली गंदगी या कचरा जमा हो रहा है। शरीर से ऐसी जहर समान विषैली गंदगी को निकालना डिटॉक्सिफिकेशन कहलाता है।
कल्पना कीजिए कि आप एक छोटे से 10 गुना 10 के कमरे में रहते हैं। आप अपनी दिनचर्या के कारण करीब एक किलो कचरा फैलाते हैं लेकिन उसमें से 100 ग्राम रोज कमरे में ही रह जाता है। क्या होगा जब ऐसी स्थिति एक हफ्ते, एक महीने या सालभर तक बनी रहे। अब कमरे की जगह अपने शरीर को रखकर देखिए। हमारे भोजन और पानी का लगभग 30 प्रतिशत मल-मूत्र के रूप में उत्सर्जित होता है।
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माना जाता है कि प्रति 1000 ग्राम भोजन पर लगभग 10 ग्राम ऐसा अपशिष्ट बनता है जो शरीर में जमा होता रहता है। यदि अनुमान लगाएं तो महीने में 30 ग्राम कचरा और सालभर में लगभग 3 किलो। यदि ये विषैले तत्व शरीर में बने रहें तो शारीरिक और मानसिक सेहत को बुरी तरह से बिगाड़ सकते हैं। आहार विशेषज्ञ डॉ. जेएस पाटिल कहते हैं कि लोग चाय, कॉफी, सोडा या चॉकलेट जैसी चीजों से खुद को ऊर्जावान बनाने की कोशिश में ज्यादा नुकसान कर बैठते हैं और हमेशा तनाव से घिरे रहते हैं।
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पेट से परेशान रहना
ये आदत बड़ी महत्वपूर्ण है जो वाकई आपको सीधे संकेत देती है कि आप कुछ गलत कर रहे हैं। पेट में गैस, अपच, डकारें, जलन, दर्द, उल्टी-दस्त आदि लक्षण बताते हैं कि शरीर में जो कचरा बन रहा है वह बाहर नहीं निकल रहा है। आहार और आदतों के कारण कचरे पर कचरा जमा होकर विष बनता जा रहा है और शरीर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है।
उपाय है : पेट सभी बीमारियों की जड़ है। हम पेट से नहीं, पेट हमसे दु:खी होता है। पेट के साथ प्रयोग मत कीजिए। थोड़ा और अच्छा खाने की आदत डालिए, खासतौर पर रात का भोजन हल्का कीजिए।

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Increasing weight बढ़ता वजन
वजन बढऩा भी शरीर में विषैला कचरा जमा होने का संकेत है। अमूमन खाने की अनहैल्दी व खराब आदतों (unhealthy and bad eating habits) वाले लोग इस समस्या से पीडि़त हैं। ऐसे लोग खाते-पीते ज्यादा हैं। ये लोग जितनी कैलोरी वाला खाना खाते हैं, उसमें से बहुत कम खर्च कर पाते हैं। नतीजतन शरीर कैलोरी ऊर्जा को चर्बी में के रूप में जमा कर मोटापा बढ़ाता है।
बार-बार भूख लगना

आप जो खा रहे हैं पता नहीं वह शरीर को लग क्यों नहीं रहा ? कई बार तो लोग इसे भूख न लगने की समस्या मानकर उसका इलाज करवाने लगते हैं लेकिन असल में समस्या भूख की नहीं, शरीर में जमा हो रही गंदगी की है। परेशान लोग ऐसी स्थिति में कुछ भी खाने को दौड़ते हैं। मनोवैज्ञानिक तौर पर भूख से परेशान होकर वे कई बार झगड़ा भी कर सकते हैं। कुछ समय बाद तो वे प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, मीठी और चटखारे वाली चीजों के ऐसे गुलाम हो जाते हैं कि जहां देखा वहां बिना शर्म टूट पड़ते हैं।
उपाय है : अपना डाइट ज्ञान बढ़ाइए और हैबिट्स पर ध्यान दीजिए। डाइटिशियन को समस्या बताकर उनसे अपना डाइट चार्ट बनवाएं और संकल्प के साथ उस पर अमल करें।

उपाय है
उतना ही खाएं जितना आप खर्च कर सकते हैं। खानपान की चीजों से जुड़े कैलोरी ज्ञान को बढ़ाएं। साथ में खाने के मामले में खुद पर नियंत्रण करना सीखें।
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कुछ अन्य उपाय

ना कहना सीखें
– हर एक नकली चीज को, कृत्रिम रसायनों से बनी चीजों को और लुभावने प्रलोभनों को।
– मेडिटेशन करें
– मन को शांति मिलेगी व एकाग्रता बढ़ेगी। आप तन से अच्छी तरह जुड़ पाएंगे।
– बातें करें या लिखें
– अपनी समस्याओं और परेशानियों को बातचीत करके या लिखकर सुलझाएं। ग्रीन टी पिएं
– शरीर को शुद्ध करने के लिए दूध की चाय की बजाय ग्रीन टी को अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बनाएं।
– 30 मिनट सेहत के नाम
– हर रोज कम से कम 30 मिनट किसी भी तरह की एक्सरसाइज जरूर करें।
– बुरी आदतों से तौबा करें
– सिगरेट, शराब पीने और रिफाइंड शुगर खाने जैसी बुरी आदतें छोड़ें।
– लिवर, किडनी का रखें ख्याल
– लिवर और किडनी की सफाई व उन्हें एक्टिव बनाए रखने के लिए मौसमी फल, नींबू, अदरक, दही व छाछ लें।
– खाने में बढ़ाएं रेशों की मात्रा
– अच्छे पाचन और शरीर से कचरे को बाहर करने के लिए अपनी डाइट में रेशों यानी फाइबर्स से भरपूर फल जैसे केला व संतरा, सब्जियां (पालक आदि) और सूखे मेवे (बादाम) जरूर शामिल करें।
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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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