अनिद्रा, पेटदर्द, गैस, अपच, जोड़ों में दर्द, घाव, खांसी, उल्टी, बवासीर, मूत्र रोग, पेट फूलना, कब्ज, भूख न लगना, तनाव, हिचकी, गठिया, ब्लड प्रेशर, दांतदर्द, बच्चों को सर्दी-जुकाम, त्वचा रोग आदि तकलीफ में लाभकारी है। जायफल में ट्राइटेरपेन (triterpenes) भरपूर मात्रा में पाया जाता है , जो एक यौगिक है । ट्राइटेरपेन में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं । इसकी वजह से जायफल न सिर्फ मोटापे को कम कर सकता है, बल्कि टाइप-2 डायबिटीज को भी कम कर सकता है।जायफल प्रोस्टाग्लैंडीन (prostaglandin) नामक हार्मोन के उत्पादन में रोक लगाकर, आंखों की समस्या को कम कर सकता है।
मैंगनीज, फाइबर, विटामिन बी-6, थाइमिन, फोलेट, मैग्नीशियम, कॉपर व अन्य तत्त्वों से युक्त है जायफल। इसका चूर्ण, बाहरी खोल और तेल तीनों विभिन्न तरह से उपयोगी हैं। चूर्ण की आधा से 1 ग्राम की मात्रा और तेल 1-3 बूंद प्रयोग में ले सकते हैं।
इसका पाउडर सीधे प्रयोग में लेने के अलावा किसी अन्य जड़ीबूटी या औषधि के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चों में चूर्ण की मात्रा बड़ों से आधी हो जाती है। इसके चूर्ण से बना लेप भी फायदेमंद होता है।
इसका प्रयोग सीमित और संतुलित होना चाहिए। अधिक खाने से दिमाग पर बुरा असर होता है। जिससे सिर चकराने, हृदय की धड़कनें अनियंत्रित होने, पित्त बढ़ाने, पेट की जलन व सूजन, उल्टी आने, पसीना आने, मुंह सूखने की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए विशेषज्ञ की सलाह से ही इसे प्रयोग में लेना चाहिए।