मुलेठी में ग्लाइसीमिक एसिड और कैल्शियम अधिक होता है। इसके गुण जड़ उखाड़ने के बाद दो वर्षों तक बरकरार रहते हैं। इसमें 50 फीसदी पानी होता है। इस्तेमाल ( Mulethi Uses )
इसकी जड़ का टुकड़ा, चूर्ण अधिक उपयोगी हैं। 2-4 ग्राम तक चूर्ण भिन्न जड़ीबूटी या अन्य चीजों के साथ लेने की सलाह देते हैं। वहीं इसके टुकड़े को भी चूसते हैं।
– गला या इससे जुड़े किसी भी संक्रमण, कफ, सांस संबंधी तकलीफ, त्वचा रोगों, खून की उल्टी, शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकालने, अल्सर, मुंह के छाले, कमजोरी दूर करने, घाव भरने, अपच आदि में फायदेमंद होता है मुलेठी का प्रयोग।
– मुलेठी की जड़ों में उपस्थित फाइटोस्ट्रोजेनिक यौगिक महिलाओं के हार्मोनल असंतुलन संबंधी समस्याओं और रजोनिवृत्ति के लक्षण के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करते हैं।
– मुलेठी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेटिंग गुण के कारण पेट, आंत और मुंह के अल्सर के इलाज के लिए सबसे अच्छी प्राकृतिक औषधीय है।
– इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, एस्ट्रोजेन-संवेदनशील विकार, गुर्दा, हृदय या यकृत और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं जैसी मेडिकल कंडीशन वाले लोगों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।
– जो लोग मूत्रवर्धक पर हैं या हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित हैं, वे इसका उपभोग ना करें।
– मुलेठी का अत्यधिक उपयोग भी मांसपेशियों, क्रोनिक थकान, सिरदर्द, सूजन, एडिमा, छद्म डोल्दोनिस्म, श्वास की कमी, जोड़ों की कठोरता और कम टेस्टोस्टेरोन स्तर पुरुषों की कमजोर होती है।