गिलोय के पत्ते को साबुत चबाने के अलावा इसके डंठल के छोटे टुकड़े का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। इसे अन्य जड़ीबूटी के साथ मिलाकर भी प्रयोग करते हैं। गिलोय का सत्व 2-3 ग्राम, चूर्ण 3-4 ग्राम और काढ़े के रूप में 50 से 100 मिलीलीटर लिया जा सकता है।
– प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है। संक्रामक रोगों के अलावा बुखार, दर्द, मधुमेह, एसिडिटी, सर्दी-जुकाम, खून की कमी पूरी करने, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के अलावा रक्त शुद्ध करने व शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर करती है।
– गिलोय के पत्तों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके डंठल का ही प्रयोग करना चाहिए। अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन न करें, अन्यथा मुंह में छाले हो सकते हैं। – छोटे बच्चों को विशेषज्ञ के निर्देशानुसार ही यह दें। यदि किसी रोग (मधुमेह, त्वचा संबंधी ब्लड प्रेशर, बुखार, प्रेग्नेंसी व अन्य ) के लिए नियमित दवा ले रहे हैं तो प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से पूछ लें वर्ना अन्य दवा के साथ मिलकर शायद यह काम न करें।