जैविक आयु का महत्व The importance of biological age
बायोलॉजिकल उम्र (Biological age) जानने से मधुमेह या मनोभ्रंश के जोखिम को समझने में मदद मिल सकती है। बीएमसी मेडिसिन नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि देखी गई बायोलॉजिकल उम्र में आई कमी डीएनए मिथाइलेशन के स्तर पर आधारित है। यह डीएनए का एक प्रकार का रासायनिक संशोधन (केमिकल मॉडिफिकेशन) है, जो जीन अभिव्यक्ति को बदल देता है, हालांकि डीएनए में कोई बदलाव नहीं होता।What is Anti-ageing diet
इस शोध में 21 वयस्क समान जुड़वां बच्चों का अध्ययन किया गया, जिनमें कुछ दिनों के लिए शाकाहार अपनाने के प्रभाव की जांच की गई।टीम ने हर जुड़वा लोगों में एक को आठ सप्ताह तक सर्वाहार खाने को कहा, जिसमें प्रतिदिन 170 से 225 ग्राम मांस, एक अंडा और डेढ़ सर्विंग डेयरी उत्पाद शामिल थे। वहीं, उनके दूसरे जुड़वा इस दौरान सिर्फ शाकाहार खाने को कहा गया।
एपीजेनेटिक एजिंग क्लॉक Epigenetic Aging Clock
टीम ने पाया कि शाकाहार करने वाले प्रतिभागियों में अनुमानित जैविक आयु में कमी देखी गई, जिसे एपीजेनेटिक एजिंग क्लॉक के रूप में जाना जाता है। इसके विपरीत सर्वाहार खाने वालों में यह कमी नहीं देखी गई। शाकाहार लेने वाले लोगों में हृदय, हार्मोन, लिवर तथा सूजन तथा चयापचय तंत्र की आयु में भी कमी देखी गई। कैलोरी की मात्रा में अंतर के कारण उन्होंने सर्वाहार लेने वालों की तुलना में औसतन दो किलोग्राम अधिक वजन कम किया।
टीम ने कहा कि निष्कर्ष अभी अस्पष्ट हैं। इसके लिए उन्होंने आहार संरचना, वजन और उम्र बढ़ने के बीच संबंधों की जांच के लिए अधिक शोध की आवश्यकता पर बल दिया। –आईएएनएस