ग्रामीणों ने टाईगर अभ्यारण्य के क्राइट एरिया का पुन: चिन्हीकरण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के वाशिंदे जंगल, जमीन के पहले हकदार हैं। ग्रामीणों ने कुल्हाडी बंदी का हवाला देते हुए कहा कि जंगल व जमीन को बचाने में पहले भी लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। ग्रामीणों ने लोगों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जल, जंगल व जमीन को बचाने के लिए संकल्प लिया। उन्होंने जंगल बचाने के लिए सामूहिक एकता को बरकरार रखते हुए संगठित रहने का निर्णय किया।
बैठक में ग्रामीणों ने किसी के बहकावे में नही आने की नसीहत दी गई। वही पांच ग्राम पंचायतों के लोगों द्वारा वन विभाग का सहयोग नही करने की शपथ ली। बैठक में बसेडी विधायक संजय कुमार जाटव ने लोगों में भय का माहौल देख पैरवी करने का आश्वासन दिया। विधायक ने कहा कि जल, जंगल व जमीन के वास्तविक हकदार ग्रामीण हैं। जिन्होंने जल, जंगल व जमीन को बचाने में संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया। विधायक ने कहा कि लोगों में आजीविका का संकट भीषण बना हुआ है। जिसका पूर्व में भी विधानसभा में मुद्दा उठा चुके हैं। बैठक में ग्राम पंचायत गौलारी, मदनपुर, धौंध, सेवर पाली, वटीकरा, झिरी, कुदिन्ना, सहेड़ी आदि ग्राम पंचायतो के लोगों ने शिरकत की।
पंचायत का फैसला मानने को ग्रामीण बाध्य बाबू महाराज मंदिर मथारा पर आयोजित पंचायत में ग्रामीणों द्वारा फैसला मानने के लिए ग्रामीणों को बाध्य किया गया है। पंचायत में सर्वसम्मति से वनविभाग का ग्रामीणों द्वारा बिल्कुल सहयोग नही करने का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा कि टाईगर वन्यजीव अभ्यारण्य की प्रक्रिया लगातार चल रही हैं लेकिन ग्रामीणों को विस्थापन की प्रक्रिया मंथर गति से चल रही हैं। गौरतलब है कि रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य क्षेत्र से बीते वर्षों में कैलादेवी अभयारण्य होते हुए कई बाघ आए हैं, लेकिन दो बाघों को छोड़कर अधिकांश बाघ इस इलाके में अपनी स्थाई टेरेटरी नही बना सके। हालांकि करौली धौलपुर टाईगर वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र बाधों के लिए हर दृष्टि से अनुकूल है।