पंकज सिंह के प्रार्थना पत्र पर दर्ज मामले के अनुसार आरोपी रामहरि पुत्र रोशन सिंह, ममता पत्नी रामहरि, निवासी बाबरपुर, रामकिशन पुत्र भरत सिंह, विजय सिंह पुत्र शिवनारायण, राजाराम पुत्र रामदुलारे, सरपंच भूरी देवी पत्नी उमेश कुमार, तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार व सेवानिवृत ग्राम विकास अधिकारी नंदकिशोर दीक्षित को मुख्य आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि आरोपियों ने उसके मकान की ओर जाने वाले आम रास्ते पर अतिक्रमण कर उससे जुड़ी ग्राम आबादी की सरकारी संपत्ति के फर्जी व कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से मिथ्या साक्ष्यों के माध्यम से विक्रय कर दिया और पीडि़त के साथ ही राज्य सरकार के साथ भी धोखाधड़ी की है।
फर्जी स्वामित्व प्रमाण पत्र आरोप है कि अरोपियों ने आपस में मिली भगत करके सरकारी भूमि को हड़पने की नीयत से ओर राजस्व की चोरी करने के लिए पदीय दायित्वों को दरकिनार कर एक फर्जी स्वामित्व प्रमाण पत्र 30 मार्च 2022 में बनाया गया और 20 अप्रेल 22 को एक फर्जी विक्रय पत्र भी बना लिया गया। और भूमि पर अतिक्रमण भी कर लिया गया।
अतिक्रमण से रास्ता बंद होने पर खुलासा पीडि़त के घर का रास्ता आरोपियों ने फर्जी दस्तवेजों से हड़पी जमीन पर कब्जा करके बंद कर दिया। जिसकी शिकायत उसने ग्राम पंचायत से लेकर उपखंड अधिकारी, जिला कलक्टर तक को की, जनसुनवाइयों में अधिकारियों के हाथ जोड़े पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद उसने साक्ष्य एकत्रित कर थाना में फरियाद लगाई पर वहां भी न्याय नहीं मिला। तब मजबूर होकर उसने न्यायालय की शरण ली और अब मामला दर्ज होने से क्षेत्र में खलबली मच गई है।
आरटीआई के तहत प्राप्त सूचनाओं से हुआ खुलासा अधिकारियों के चक्कर काट काट कर निराश पीडि़त ने आरटीआई अधिनियम के तहत दस्तावेज प्रप्त किए तब जाकर इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ। और अब पुलिस भी हरकत में आ गई है।