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धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को हरी झण्डी, पर्यटक क्षेत्र में कर सकेंगे टाइगर के दीदार

Dholpur-Karauli Tiger Reserve news: धौलपुर. राजस्थान को पांचवे टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। जिले के लिए मंगलवार का दिन खुश खबर लेकर आया। नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने रणथम्भौर बाघ परियोजना के द्वितीय डिवीजन करौली के कैलादेवी अभयारण्य व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए ने हरी झण्डी दिखा दी है। वन विभाग पिछले कुछ दिनों से प्रस्तावित टाइगर रिजर्व को लेकर लगातार प्रयास कर रहा था,

धौलपुरAug 23, 2023 / 08:13 pm

Naresh

Green flag to Dholpur-Karauli Tiger Reserve, will be able to see Tiger in tourist area

धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को हरी झण्डी, पर्यटक क्षेत्र में कर सकेंगे टाइगर के दीदार

Dholpur-Karauli Tiger Reserve news: धौलपुर. राजस्थान को पांचवे टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। जिले के लिए मंगलवार का दिन खुश खबर लेकर आया। नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने रणथम्भौर बाघ परियोजना के द्वितीय डिवीजन करौली के कैलादेवी अभयारण्य व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व के लिए एनटीसीए ने हरी झण्डी दिखा दी है। वन विभाग पिछले कुछ दिनों से प्रस्तावित टाइगर रिजर्व को लेकर लगातार प्रयास कर रहा था, जिनकी मेहनत मंगलवार को सफल हो गई। हरी झण्डी मिलते ही महकमे के वन विभाग के एसीएस शिखर अग्रवाल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
एनटीसीए की ओर से अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद अब धौलपुर व करौली के जंगलों को मिलाकर यह प्रदेश में पांचवां टाइगर रिजर्व होगा। माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य सरकार की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। गौरतलब रहे कि गत दिनों वन विभाग के विशेषज्ञ दल ने भ्रमण के बाद धौलपुर-करौली के प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में करौली व धौलपुर की 31 ग्राम पंचायतों में आने वाली भूमि को टाइगर रिजर्व के बफर में शामिल करने के लिए उपयुक्त माना था। इनमें 18 ग्राम पंचायत पड़ोसी जिले करौली और धौलपुर जिले के बाड़ी, सरमथुरा, बसेड़ी उपखण्ड की 13 ग्राम पंचायतें शामिल किया था।
टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1075 वर्ग किमी

वन अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल वन विभाग की ओर से धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। नवीन टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1075 वर्ग किमी होगा। इसमें कोर एरिया 780 व बफर एरिया 495 वर्ग किलोमीटर है। वन विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में करौली की मासलपुर रेंज, धौलपुर के झिरी वन क्षेत्र, भरतपुर के वन क्षेत्र और सरमथुरा वन क्षेत्र को शामिल करने की जानकारी है। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव भेजने के बाद एनटीसीए की ओर से फरवरी 2023 में करौली व धौलपुंर के जंगलों को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सैद्धांंतिक स्वीकृति जारी की गई थी। इसके बाद कमेटी का गठन किया गया। जिसने क्षेत्र का दौरा कियाा था।
धौलपुर जिले की 13 ग्राम पंचायतें हो सकती हैं शामिल

वन विभाग सूत्रों के अनुसार वन अधिकारियों की टीम ने करौली जिले की ग्राम पंचायत चंदेलीपुरा, औण्ड, दरगमां, धौरेटा, गुरदह, भांकरी, बाटदा, रानीपुरा, नींदर, पांचौली, बहादुरपुर, राहिर, बुगडार, कैलादेवी, निभैरा, मोंगेपुरा, रोंधई, श्यामपुर आदि 18 ग्राम पंचायतों की वन क्षेत्र की भूमि को टाइगर रिजर्व के लिए उपयुक्त माना है। इसी तरह धौलपुर जिले की सेवरपाली, कुदिन्ना, चन्द्रावली, खरौली, गौलारी, बीलौनी, डोमई, धौंध, मदनपुर, बटीकरा, झिरी, खनपुरा, धौर्र आदि 13 ग्राम पंचायतों की वन क्षेत्र की भूमि को टाइगर रिजर्व में शामिल किए जाने की संभावना है।
धौलपुर व करौली के जंगलों में 8 बाघ-बाघिनों का मूवमेंट

जिले के सरमथुरा उपखंड क्षेत्र के झिरी मदनपुर गोलरी इलाके समेत चंबल से लगे क्षेत्र में पहले भी टाइगरों का मूवमेंट देखने को मिलता रहा है। इस इलाके में पहले भी रणथम्भौर से बाघ आते रहे हैं। कई बार तो यह बाघ 2 महीने तक इलाके में विचरण कर चुके हैं। यहां से टाइगर सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर निकल जाते हैं। इनका मुख्य मूवमेंट गांव गिरोनिया के पास खुशहालपुर की खोह दमोह में ही देखा गया है। इसके अलावा जिले के बाड़ी क्षेत्र में कुदिन्ना, उटावली, बसई डांग क्षेत्र और धौलपुर शहर के पास मोरोली गांव तक इनका मूवमेंट देखा गया है। वर्तमान में करौली व धौलपुर के जंगलों में करीब 8 बाघ-बाघिन हैं। इनमें से चार करौली में व चार धौलपुर में है। धौलपुर में तीन शावकों का विचरण भी बताया जा रहा है।
टाइगरों को रास आने लगा जिले का जंगल

ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में करीब पांच टाइगरों की गतिविधि जंगल में दिखी है। एक नर व एक मादा एवं 3 शावक साथ में देखे गए। जो कि अब बड़े हो चुके हैं और यही डेरा डाले हुए हैं। यह क्षेत्र टाइगरों को पहले से ही रास आ रहा था। यह इलाका चंबल नदी से सटा हुआ है। चंबल नदी किनारे यहा ठिकाने बनाते रहे हैं। गर्मियों के दिनों में वह उनकी गुफाओं के अंदर चले जाते हैं और रात में अपना शिकार ढूंढते हैं। यह क्षेत्र काफी घना है। टाइगरों के मूवमेंट से क्षेत्र में अवैध खनन की गतिविधि पर भी रोक लग सकेगी। यहां खदानों में होने वाले विस्फोटक से वन्यजीवों खतरा बना रहता है। झिरी सरपंच प्रतिनिधि संजू सिंह ने बताया है कि टाइगर रिजर्व होने से पर्यटकों का आवागमन बना रहेगा। जिससे क्षेत्र में लोगों के रोजगार मिलेगा।
पर्यटन क्षेत्र का होगा विकास

करौली व धौलपुर के जंगलों को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने से इन जिलों में पर्यटन गतिविधि बढेंगी। साथ ही रोजगार मिलेगा। खास बात ये है कि संभाग मुख्यालय भरतपुर पर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पहले ही देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही रहती है। अब ये पर्यटक पड़ोसी जिले धौलपुर पहुंच या बयाना के रास्ते सरमथुरा क्षेत्र में टाइगरों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। साथ ही यहां पर बाघों के संरक्षण तो होगा। इसके अलावा यहां जंगलों में पाए जाने वाले चौसिंगा, पैंगोलिन व कैराकल कैट जैसी दुर्लभ प्रजातियों का भी संरक्षण हो सकेगा। पर्यटकों की आवाजाही से होटल उद्योग को फायदा मिलेगा।
पूर्व में परमिट लेकर होता था टाइगरों को शिकार

धौलपुर क्षेत्र में वन विहार समेत कई स्थानों पर टाइगर थे। उस समय खुद सरकार वन्यजीवों के शिकार के लिए परमिट देती थी। सरकार देशभर में पहले परमिट जारी करती थी। पूर्व रेंजर अबरार खां ने बताया कि उस समय सरकार से परमिट जारी होता था। अमेरिकी राजदूत ने भी धौलपुर क्षेत्र में परमिट के बाद शिकार किया था। इसमें भरतपुर महाराज बृजेन्द्र सिंह समेत कई विदेशी मेहमान शामिल होते थे। खां ने बताया कि इस पर साल 1966-67 के दौरान खूब शिकार हुए हैं। धौलपुर का जंगल पहले से ही घना रहा है। ये क्षेत्र धौलपुर से करौली, सवाईमाधोपुर, कोटा व बूंदी तक जाता है। इसके बाद तत्कालीन पीएम इन्दिरा गांधी ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 लाकर इस पर रोक लगा दी। इसी तरह केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में भी शिकार होता था। यहां भी बाद में रोक लगा दी गई।
– एनटीसीए से फाइनल मंंजूरी मिल गई है, अब राज्य सरकार की ओर से स्वीकृति जारी होने पर इस डिवीजन का नाम बदल दिया जाएगा। धौलपुर-करौली जिले में वर्तमान में करीब 8 टाइगर मूवमेंट कर रहे हैं। इसमें कोर एरिया 780 व बफर एरिया 495 वर्ग किलोमीटर रहेगा। टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के बाद वन्यजीवों के लिए बेहतर होगा।
– अनिल यादव, डीएफओ (वन्यजीव), सवाईमाधोपुर

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– धौलपुर-करौली टाइगर रिजव घोषित होने से जिले को नई पहचान मिलेगी। साथ ही वन्यजीवों के लिए सुरक्षित जगह मिल सकेगी। रिजर्व जगह होने से वन्यजीवन आसानी से विचरण कर सकेंगे। साथ ही पर्यटन क्षेत्र का विकास होगा। धौलपुर के लोगों को आने वाले समय में रोजगार मिलेगा।- राजीव तोमर, पूर्व मानद वनजीव प्रतिपालक, धौलपुर
– धौलपुर के लिए अच्छी खबर है। इससे क्षेत्र में टाइगरों को कुनबा बढ़ेगा। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व का भार हलका होगा। धौलपुर के डांग क्षेत्र में पूर्व में टाइगर रह चुके हैं। इस घोषणा से टाइगरों के लिए एक नया स्थान विकसित होगा। साथ ही इस क्षेत्र में पर्यटन को भी पंख लगेंगे। पर्यटक केवलादेव के साथ धौलपुर भी भ्रमण जा सकेंगे।
– अबरार खां भोलू, सेवानिवृत रेंजर, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

– धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व की घोषणा से सरमथुऱा क्षेत्र को प्रदेश समेत विश्व में पहचान मिलेगी। साथ ही पर्यटन की नई संभावना जगेंंगी। युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। अभी तक लोग रणथम्भौर टाइगर देखने जाते थे, अब धौलपुर में भी पर्यटक टाइगरों को देख सकेंगे।
– संजू सिंह जादौन, सरपंच प्रतिनिधि झिरी ग्राम पंचायत, सरमथुरा

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