इस संबंध में आयुर्वेद व ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा व अन्य जानकारों का भी कहना है कि आपने देखा ही नहीं स्वयं अनुभव भी किया होगा कि लोग अपनी सेहत का ख़्याल कई तरह की थेरेपी के मुताबिक करते हैं। जैसे कोई एलोपैथिक मेडिसिन्स ले रहा है, कोई होमियोपैथी, तो कोई आयुर्वेद से अपना इलाज करवाता है, पं. शर्मा के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए एक खास मंत्र भी है जिसे हम तुलसी मंत्र के नाम से जानते हैं, तो चलिए जानते है तुलसी की महत्ता के साथ ही मंत्र के असर के बारे में…
दरअसल, तुलसी एक पूजित पौधा होने के साथ ही इसके अनेक स्वस्थ्य लाभ भी हैं, लेकिन माना जाता है कि जब यह तुलसी का पौधा या पत्ता जब तुलसी मंत्र से पूजीत होता है, तब यह बीमारियों को ठीक करने में अद्भुत परिणाम देता है।
तुलसी मंत्र :
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
मान्यता के अनुसार तुलसी मंत्र का सही जाप करने वाले की सेहत दुरुस्त रहती है और अगर उसे कोई बीमारी है भी तो तुलसी मंत्र के जाप से बीमारी भाग जाती है।
पंडित शर्मा के अनुसार प्राचीन काल में भारतीय ऋषियों और मुनियों ने मंत्र विज्ञान का आविष्कार किया था। दरअसल, माना जाता है कि तपस्या से समाधि की यात्रा के दौरान ऋषियों-मुनियों का ध्वनि के प्रभाव का अद्भुत ज्ञान हो गया था। उन्हें पता चल गया था कि ध्वनि के प्रभावों का इस्तेमाल इंसान की सेहत ठीक रखने में किया जा सकता है।
ऐसे में ईसा से हजारों वर्ष पूर्व वैदिक काल में अनेक मंत्र बनाए गए। जो संस्कृत में लिखे गए, वहीं इन मंत्रों को इस तरह पिरोया गया था कि इन तमाम मंत्रों के जाप से हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में एक रिदम पैदा हो। इस रिदम का कनेक्शन दिमाग़ से होने के चलते यह दिमाग़ को बहुत ज़्यादा एक्टिव कर देती है। जिसके कारण एक्टिव हुआ दिमाग़ शरीर में ऊर्जा का अतिरक्त संचार करता है। कुछ इसी तहर तुलसी मंत्र भी काम करता है।
यह भी बताया जाता है कि तुलसी मंत्रों के जाप यानि उच्चारण के दौरान जीभ और होंठ में जो मूवमेंट या फ्रीक्वेंसी पैदा होती है। इस फ्रीक्वेंसी का सकारात्मक असर जाप करने वाले के मन और शरीर पड़ता है। दरअसल तुलसी मंत्र के लगातार जाप के दौरान जीभ और तालू बार-बार एक दूसरे को एक ख़ास रिदम से टच करते हैं। माना जाता है कि इस रिदम का असर इंसान की नाभि या बेलीबटन पर भी पड़ता है। वहीं इसका मुख्य असर शरीर के हर प्रेशर पॉइंट पर पड़ता है और अंत में शरीर का हर अंग एक्टिव होकर खुद को शक्तिशाली महसूस करने लगता है। जिसके चलते शरीर के हर अंग को ज़रूरी ऑक्सीजन मिलने लगता है और ऑक्सीजन मिलते से इंसान स्वस्थ्य महसूस करने लगता है। कुल मिलाकर तुलसी की पूजा इसे चमत्कारिक ढंग से जाग्रत भी कर देती है, ऐसे में तुलसी से फैलने वाली सकारात्मकता हर किसी को लाभांवित करती है।
पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि तुलसी मंत्र किसी ख़ास बीमारी को ही दूरी नहीं करता… बल्कि यह अद्भुत मंत्र तो इंसान के पूरे शरीर को निरोग रखने में मदद करता है। मान्यता के अनुसार तुलसी मंत्र का सबसे ज़्यादा असर तुलसी के पौधे के सानिध्य में होता है। इसीलिए, इसीलिए हर थेरेपी की दवा बनाते समय तुलसी के पौधे को भी लिया जाता है।
सनातन धर्म में तुलसी का पौधा वैदिक काल से ही विष्णु प्रिया के रूप में पूजा जाता है। इसीलिए तुलसी ही नहीं उसके पौधे को धार्मिक, पावन, शुद्ध और शुभ माना जाता है। तुलसी के पत्तों को आमतौर पर सूर्योदय होने के बाद ही तोड़ना ही सही माना गया है। वहीं तुलसी के पत्ते 11 दिनों तक बासी नहीं माने जाते, इसीलिए इन पत्तियों को रोज़ जल से धोकर फिर से भगवान को चढ़ाया जा सकता है।
एकादशी तिथि पर तुलसी मंत्र का जाप
ऐसे में ज्योतिष व धर्म के जानकारों का मानना है कि यदि आप अपने घर-परिवार को खुशहाल, रोगमुक्त और धन धान्य से संपन्न करना चाहते हैं तो आपको तुलसी मंत्र का जाप करना चाहिए। वहीं ये भी मान्यता है कि यदि आप अधिकतम स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं, तो विशेषतौर पर एकादशी तिथि पर तुलसी मंत्र का सही जाप ज़रूर करें…
मान्यता के अनुसार तुलसी मंत्र का जाप तुलसी के पौधे को जल चढ़ाते हुए करने से ज़्यादा स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसके तहत सुबह नहा-धोकर तुलसी के पौधे में जल चढ़ाते हुए तुलसी मंत्र का 108 बार जाप करने से घर में जाप करने वाला सुखी और निरोग रहता है, साथ ही उसके घर में वैभव भी बढ़ता है।
अगर आप अपने शरीर को तंदरुस्त रखना चाहते हैं तो रोजाना सुबह नहाने के बाद तुलसी के पौधे को पानी देते हुए तुलसीमंत्र का 108 बार जाप ज़रूर करें…
तुलसी के दो मंत्र (Tulsi Mantra)
जल चढ़ाते समय-
1. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
परेशानियों से मुक्ति के लिए-
2. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते…