scriptकहीं आपका विवाह ऐसा तो नहीं हुआ, जानें आखिर विवाह संस्कार कितने प्रकार से होते हैं | vivaha sanskar vidhi, vivaha ke prakar in hindi | Patrika News
धर्म-कर्म

कहीं आपका विवाह ऐसा तो नहीं हुआ, जानें आखिर विवाह संस्कार कितने प्रकार से होते हैं

भारत वर्ष का नाम इस विवाह की देन है

May 09, 2019 / 03:47 pm

Shyam

vivaha sanskar

कहीं आपका विवाह ऐसा तो नहीं हुआ, जानें आखिर विवाह संस्कार कितने प्रकार से होते हैं

भारतीय हिन्दू शास्त्रों में विवाह के कुल इतने प्रकार बतायें गये है। विवाह संस्कार दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है। दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएं और कुछ अपूणर्ताएं दे रखी हैं। विवाह के बाद दोनों एक-दूसरे की अपूर्णताओं को पूर्ण करते हैं और इसी से समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है। शास्त्रों के अनुसार विवाह संस्कार कुल इतने प्रकार से होते हैं जो इस तरह संपन्न होते हैं।

 

हिन्दू धर्म में सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह कोई शारीरिक या सामाजिक अनुबन्ध मात्र नहीं हैं, यहां दाम्पत्य को एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना का भी रूप दिया गया है। इसलिए कहा गया है ‘धन्यो गृहस्थाश्रमः’। शास्त्रों के अनुसार कुल 8 प्रकार से स्त्री पुरुष का विवाह किया जाता है।

 

विवाह के कुल 8 प्रकार

1- ब्रह्म विवाह- दोनों पक्ष की सहमति से समान वर्ग के सुयोज्ञ वर से कन्या का विवाह निश्चित कर देना ‘ब्रह्म विवाह’ कहलाता है। सामान्यतः इस विवाह के बाद कन्या को आभूषणयुक्त करके विदा किया जाता है। आज का “व्यवस्था विवाह” ‘ब्रह्म विवाह’ का ही रूप है।

2- दैव विवाह- किसी सेवा कार्य (विशेषतः धार्मिक अनुष्टान) के मूल्य के रूप अपनी कन्या को दान में दे देना ‘दैव विवाह’ कहलाता है।

3- आर्श विवाह- कन्या-पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देकर (सामान्यतः गौदान करके) कन्या से विवाह कर लेना ‘अर्श विवाह’ कहलाता है।

4- प्रजापत्य विवाह- कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग के वर से कर देना ‘प्रजापत्य विवाह’ कहलाता है।


5- गंधर्व विवाह- परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना ‘गंधर्व विवाह’ कहलाता है। दुष्यंत ने शकुन्तला से ‘गंधर्व विवाह’ किया था। उनके पुत्र भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम “भारतवर्ष” बना।

6- असुर विवाह- कन्या को खरीद कर विवाह कर लेना ‘असुर विवाह’ कहलाता है।

7- राक्षस विवाह- स्त्री पुरुष दोनों की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना ‘राक्षस विवाह’ कहलाता है।

8- पैशाच विवाह- कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का लाभ उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना ‘पैशाच विवाह’ कहलाता है।

***********

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / कहीं आपका विवाह ऐसा तो नहीं हुआ, जानें आखिर विवाह संस्कार कितने प्रकार से होते हैं

ट्रेंडिंग वीडियो