scriptभगवान सूर्य नारायण: कलयुग के एकमात्र प्रत्यक्ष देव, रोग मुक्ति से लेकर सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण | Surya Dev destroys the germs of disease existing in the body | Patrika News
धर्म-कर्म

भगवान सूर्य नारायण: कलयुग के एकमात्र प्रत्यक्ष देव, रोग मुक्ति से लेकर सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

ऐसे होते हैं शरीर में विद्यमान रोग के कीटाणु नष्ट…

May 02, 2020 / 02:56 pm

दीपेश तिवारी

suryadev.jpg

सनातन धर्म में आदि पंच देवों का खास महत्व है, इनमें श्रीगणेश, भगवान विष्णु, मां दुर्गा, भगवान शिव व सूर्य देव /भगवान सूर्य नारायण शामिल हैं। मान्यता है कि सत्ययुग तक इन सभी देवताओं के आसानी से दर्शन हो जाते थे, लेकिन जैसे जैसे समय बदलता गया ये देव अदृश्य व अंतध्र्यान होते गए। ऐसे में कलयुग के आते ही सूर्यदेव/सूर्यनारायण को छोड़कर सभी देव अदृश्य हो गए। ऐसे में कलयुग के एकमात्र दृश्य/प्रत्यक्ष देव सूर्यदेव ही रह गए।

सूर्य को हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्माण की आत्मा माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि रविवार को सूर्यदेव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माना जाता है कलयुग में एकमात्र दृश्य/प्रत्यक्ष देव सूर्य देव की उपासना से स्वास्थ्य,ज्ञान,सुख,पद,सफलता,प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है।

MUST READ : वैदिक ज्योतिष – जानें सूर्य के सभी 12 भाव पर उसका असर

https://www.patrika.com/religion-news/vedic-jyotish-on-suryadev-effects-5970772/

सूर्यदेव की पूजा सामग्री…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सूर्यदेव की पूजा में कुमकुम या लाल चंदन, लाल फूल, चावल, दीपक, तांबे की थाली, तांबे का लोटा आदि होना चाहिए। वहीं इनके पूजन में आह्वान, आसन की जरुरत नहीं होती है। मान्यताओं के अनुसार उगते हुए सूर्य का पूजन उन्नतिकारक होता हैं। इस समय निकलने वाली सूर्य किरणों में सकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक होता है। जो कि शरीर को भी स्वास्थ्य लाभ पंहुचाती हैं।

श्री सूर्यनारायण की पूजन विधि
सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का उपयोग करें। लाल चंदन और लाल फूल की व्यवस्था रखें। एक दीपक लें। लोटे में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन का पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक और लोटा रख लें।

MUST READ : कुंडली में कमजोर सूर्य को ऐसे बनाएं अपने लिए प्रभावी

https://www.patrika.com/astrology-and-spirituality/how-to-make-sun-more-positive-effective-in-your-zodiac-signs-6015448/

अब ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जप करते हुए सूर्य को प्रणाम करें। लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अ‌र्घ्य प्रदान करना कहलाता है। ‘ऊँ सूर्याय नम: अ‌र्घ्यं समर्पयामि’ कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें।

अ‌र्घ्य समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अ‌र्घ्य समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं। कि जल की धारा के बीच में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। सूर्य देव की आरती करें। सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।

रोग मुक्ति के लिए सूर्य उपासना
भारत के सनातन धर्म में पांच देवों की आराधना का महत्व है। आदित्य (सूर्य), गणनाथ (गणेशजी), देवी (दुर्गा), रुद्र (शिव) और केशव (विष्णु), इन पांचों देवों की पूजा सब कार्य में की जाती है।

MUST READ : जानिये क्या कहती है कोरोना की कुंडली

https://www.patrika.com/horoscope-rashifal/corona-is-going-to-death-from-india-6049183/

इनमें सूर्य ही ऐसे देव हैं जिनका दर्शन प्रत्यक्ष होता रहा है। सूर्य के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक रोगों से निवारण मिलता है। शास्त्रों में भी सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है।

सूर्य की उपासना की प्रमुख बात यह है कि व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठ जाना चाहिए। इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र धारण कर ही सूर्यदेव को अघ्र्य देना चाहिए। माना जाता है कि सूर्य के सम्मुख खड़े होकर अ‌र्घ्य देने से जल की धारा के अंतराल से सूर्य की किरणों का जो प्रभाव शरीर पर पड़ता है उससे शरीर में विद्यमान रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का संचार होने से सूर्य के तेज की रश्मियों से शक्ति आती है।

MUST READ : गजकेसरी योग / क्या आपकी कुंडली में भी है ये योग, चेक करें

https://www.patrika.com/religion-and-spirituality/gajkesari-yog-in-kundali-and-how-people-get-benefits-with-this-yog-6028858/

सूर्य को अ‌र्घ्य दिए जाने के प्रकार
अ‌र्घ्य दो प्रकार से दिया जाता है। संभव हो तो जलाशय अथवा नदी के जल में खड़े होकर अंजली अथवा तांबे के पात्र में जल भरकर अपने मस्तिष्क से ऊपर ले जाकर स्वयं के सामने की ओर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। वहीं दूसरी विधि में अ‌र्घ्य कहीं से भी दिया जा सकता है। नदी या जलाशय हो, यह आवश्यक नहीं है।

इसमें एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें चंदन, चावल तथा फूल (यदि लाल हो तो उत्तम है अन्यथा कोई भी रंग का फूल) लेकर प्रथम विधि में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार अ‌र्घ्य चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया गया जल पैरों के नीचे न आए, इसके लिए तांबे अथवा कांसे की थाली रख लें।

थाली में जो जल एकत्र हो, उसे माथे पर, हृदय पर और दोनों बाहों पर लगाएं। विशेष कष्ट होने पर सूर्य के सम्मुख बैठकर ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ या ‘सूर्याष्टक’ का पाठ करें। सूर्य के सम्मुख बैठना संभव न हो तो घर के अंदर ही पूर्व दिशा में मुख कर यह पाठ कर लें। इसके अलावा निरोग व्यक्ति भी सूर्य उपासना द्वारा रोगों के आक्रमण से बच सकता है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / भगवान सूर्य नारायण: कलयुग के एकमात्र प्रत्यक्ष देव, रोग मुक्ति से लेकर सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

ट्रेंडिंग वीडियो