लेकिन अरिष्टासुर का वध भगवान ने जब किया, उस समय वह बछड़े के रूप में था। इस पर राधाजी ने कान्हा को गौवंश हत्या के पाप की ओर ध्यान दिलाया। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधाजी ने भी बगल में अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। श्रीकृष्ण के खोदे गए कुंड को श्याम कुंड और राधाजी के कुंड को राधा कुंड कहते हैं। स्नान के बाद श्रीकृष्ण राधा ने यहां महारास भी रचाया था।
श्री कृष्ण ने दिया था वरदान
Radha Ashtami Katha: ब्रह्म पुराण और गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अनुसार महारास के बाद श्रीकृष्ण ने राधाजी की इच्छानुसार उन्हें वरदान दिया था कि जो भी दंपती राधा कुंड में राधा अष्टमी पर स्नान करेगा उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। मान्यता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण 12 बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं।राधा कुंड में स्नान की विधि
Radha kund snan: मथुरा नगरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा के दौरान वृंदावन में राधा कुंड प्रमुख पड़ाव है। कार्तिक माह में राधा कुंड में स्नान करने के लिए यहां विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं और कार्तिक कृष्ण अष्टमी यानी अहोई अष्टमी, जिसे राधा अष्टमी भी कहते है पर राधा कुंड में स्नान करके दंपती पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना करते हैं।इस संबंध में एक अन्य मान्यता है कि सप्तमी की रात को यदि पुष्य नक्षत्र हो तो रात्रि 12 बजे राधा कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर राधाजी की आराधना करती हैं और उनसे पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
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