इन सिद्ध मंदिरों में मंत्र जप, पूजा और तंत्र साधना करने से हो जाती है एक साथ सैकड़ों कामना पूरी
सावन के महीने में किसी भी दिन शिव का प्रतिक तीन मुखी रूद्राक्ष को धारण करने से एक सात ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी (त्रिदेव) की कृपा स्वतः ही मिलने लगती है। तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व की प्रधानता है, अग्नि तत्व जो कि पंच तत्वों में भी मुख्य तत्व माना जाता है। अग्नि तत्व की प्रमुखता होने के कारण तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक के विचारों में शुद्धता व स्थिरता आने के साथ अनेक कामनाओं की पूर्ति होने के साथ जीवन शिव की आराधना में लिन होने लगता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष इस विधि से पूजन करके धारण करें
1- रुद्राक्ष को पहले शुद्ध जल से स्नान कराये
2- फिर पंचामृत (दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराने के बाद अंत में गंगाजल से स्नान कराये।
3- घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर बैठे।
4- अष्टगंध या चंदन से तिलक कर तीन मुखी रूद्राक्ष को पूजास्थल पर लाल कपडा बिछाकर अपने सामने रखें।
5- हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प लें– हे त्रिदेव मैं (अपना नाम और गोत्र बोले) भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति हेतू इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा हूं, यह मेरे कार्यों में मुझे पूर्णता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें।
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6- पूजा करने के बाद इस मंत्र का जप 108 बार करें।
मंत्र- “ॐ क्लीम नमः”
मंत्र जप के बाद त्रिदेवों का ध्यान करते हुए दीपक की लौं के ऊपर से रुद्राक्ष को 21 बार घुमाये और मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए धारण कर लें।
– इस विशेष तीन मुखी रुद्राक्ष को सावन मास में सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के अलावा सुविधा अनुसार किसी भी दिन विधिवत पूजा करने के बाद धारण किया जा सकता है।
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